श्री दिवाकर अभिनन्दन ग्रन्थ | Shri Divakar Abhinandan Granth
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
386
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)-. स्पाद्वाद
लखक-प्रमिद्धबक्षा प० भी सीमाम्यमऊवी मद्दाराम
न घम से पविस्प को स्पाज्टाइ का अनमोस उपहार समर्पित
किया है । स्पाह्ाद क सुर्सगत सिसास्त के प्रारा बिधिधता
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अर्म से विश्व की सददान सेवा की है । स्पाठाइ मेंस घट का
लक मौसिक सिद्धास्त है और अपने इस पालक सस्य सिद्धाम्त
के कारण फैन पर्म चिश्बथर्म होने क॑ साय ही साथ वैज्ञानिक
घ्मे मी है ।
आधुमिक पिज्ञाम में यह सिस ऋर दिया है कि पदार्थ में पस गुण हैं
जिसका सानय जगत को पूरा पान सदी हैं । इम पदार्थों का जिस सूप म देखने हैं
थी उसका पूरा स्परूप सही होता परथ उसमें झनकों अप्रकट शुप्प-धर्ियाँ पिध
मान है । सिम का कार्यसं्र इन थस्तु-पर्मा का अस्पपथ करना हैं । घतमाम
मददायुम में मप्र कास्ति मस्या दम घाला परमाशु परम इसका उदाहर्प्य है । युनिया
हे चद्दाथ उतसे क उतन है सक्तिम विश्नान के अस्थपण प्यार आधिप्कार के कारण
उन पदार्थी के अन्दर रह हुए अतक शुण्प का पिश्य का घास इोर्हा ह। इस महान
सुद्ध के पूर्णाइति बाल पहिस अणु पम पक अतास लस्य था पह आस पकट हु
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