श्री रत्नचन्द्र पद मुक्तावलि | Shri Ratnachandra Pad Muktavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३०
30
देर
3३
श्पट
द्ध
३६
३७
3८
भ्ध
४४
४२
४३
श्री रर्लचन्द्र पद मु क्तावली [5
थांरी फूल सी देह पलऊ में पले, ६४-६४
इण काल रो भरोसो भाई रे को नहीं ६४-६७
कथलो मांडयो रे, साघुनी करे चखाणु ६७-१५०
सुक़त करते रे मू'जी, थारी पड़ी रददेला पूजी १००-१०९
नगरी खुद वणी छे जी जिणरा सिद्ध
घणी छे जी ए०२-२०४
सगत खूत्र सिली छे रे १०४-१६८६
निमंल्र शुद्ध समकित जिण पाई १०७-१५६.
चेत चेत रे चेत चतुर नर सिनख जमारो पाय रें१०४-१११
जगत सट्ठ सपने की माया रे श्१२
गाफिल केम मुसाफिर,(ठग लागा तेरी लार ११३
त्याग नहीं पार की नारो, ते श्रावक किम
उतरे पारो ११४-११६
व घर श्रावोजी * * * सारा मन गमता
मद्दाराज १९१७-१८
तू किण रो कुण थारो रे चेतनिया १९६
जोवनिया की सोजा फोजा जाय नगारा देती रे... १९०
उलटी चाल चल्यो रे जीवडला १२९
निन्दा न करिये रे चेतन पारकी श्२९
सम नर साघु किन के सिन्त १२३
खुढापो वेरी 'भावियो दो श्र
सीख शुद्ध मानों रे संतशुरु की ._ १२४--१२४
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