संवैधानिक परिवर्तनों के प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दृष्टिकोण और इसकी विचारधारा | Sanvaidhanik Parivartanon Ke Prati Bharatiy Rashtriy Kangres Ka Drishtikon Aur Isaki Vicharadhara
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
98 MB
कुल पष्ठ :
306
श्रेणी :
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No Information available about रमेश चन्द्र वाजपेयी - Ramesh Chandra Vajapeyi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आधारभुत्त तथ्य को स्वीकारते त्येक शिक्षित भारतीय का यह कर्तव्य होना
पाहिये कि वह शासन करने वालों को इस प्रकार से सहायता करे कि जिससे
वे लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने के उपाय कर सके । सभी वर्गों श्वं समु-
दायों को प्रसन्न कर सकें और ब्रिटिश साम्राज्य की प्रजा को सन्तध्ट कर
ड फेर | का प्छ
इस प्रकार के प्रस्ताव प्रायः प्रत्येक अधिवेशन मैं पारित होते रहे...
और कागिप्त के वार्षिक अधिवेशर्नों मैं लगातार बिटिश शासन की प्ंसा का
स्वर गैँजता रहा । किस के पहले अधिवेशन मैं उसके अध्यक्ष ने कहा था -
भारत के लाथ के लिये ब्िटिशं सरकार ने बहत कछ किया है लेकिन उसे
अभी बहुत कुछ करना बाकी है ।” इत प्रकार की शब्दावली समय-समय पर...
दोहरायी जाती रही जिससे यह प्रमाणित होता है कि आरभ्शिक बीस वर्षों
मैं भारत स्थित ब्रिटिश सरकार से सहयोग करने की नीति अपनायी गयी 1...
इस अवधि मैं क्रिस के नेताओं को पूर्ण विववास था. कि उनके तकॉं और
ध्यान से सना जायेगा तथा ब़िटिश शासन आवश्यकतानुसार
प्रस्तावों को
पही करेगा । यह कहा जा सकता है कि आरम्मिक युग प्रतीक्षा का
विश्वात का युग था तथा पैर्य ले ब्रिटिश सरकार ते प्रार्थन
काग्रित ने जब संवैधा निक
का यग था । ऐसे समय मैं भारतीय राष्ट्रीय
मांग की तो उसक
1 उद्देशय ड्रि
रु एक थक भर न यलरफसायसरसवसमवालाउसपकदरपसरसपमकापकसिसारकरसवाकाततसससससलकरकयसपससककय
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