अर्थवाद का स्वद्या -९ | Arthvad Ka Swadya-9

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Arthvad Ka Swadya-9 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सन २ है काम 1 इसंडस्टररटटसटटशररटटस्पर उ्टरटटटटडडडरसड दर उस से ड डर डर डंडे उंडडिरडड सप्द | ट छान आजा 3-27 ह | कृ | काम। || दी | एप्स सपा पयसप कि द २: जि ५ ... व ( चाषे।- अथवां । देवता-कामा ) ही थ सपरनहनमपभ घतेन काम शिक्षांसि हॉविपाउयेन । जि नीचे सुपत्नाव्‌ मर्म पादय सवमुभिष्टुतों महता चीरयें[ण ॥ १॥ है श यन्मे मनसो न प्रिय न चक्ुपो यन्मे घमास्ति नाभुनन्दाति । श तद्‌ दुष्यप्न्य प्रति मुश्वामि सपत्ने काम स्तुत्वोदहदं मिंदेयमू ॥ २ ॥! ही है. सअर्भ-( सपत्नहन ऋषपभ काम ) भायका नाश करनेवाले बलवान £ काम को सं ( एदिपा आज्येन घुलेन शिक्षामि) हवि घी आदिखे शिशित ६ फरता हू । ( महता चायण आभषत। ) पड़े पराक्मस म्रसातत हाकर हू (स्व) तू (सम सपत्नान्‌ नीचे: पादय ) मेरे शा्युओंको नीचे कर ह दे0र॥ है. (यत ने सनस। न प्रिय ) जो सेरे सनको प्रिय नददीं हैं, (यत से चक्लुष। थ्पु जो सेरे आंखोंकों प्रिय नहीं है, ( यमु से यसस्ति ) जो मेरा (सं ति)न सुझ जानन्द देता है, (तत्‌ ( सपत्वे घतिघुासि ) शायके ऊपर सेज देता हुं। (अह काम स्तुत्दा ) में काम की स्तुति करके ( उत सिदेय॑ ) ऊपर उठना हु ॥ २ ॥ सादाध-कास ( खंकरूप ) घडा घलवान है आर शाजुका नाया करने+ चाला है, उसको यज्नसे शिस्सिन करना चाहिये । दद्द वडे चीपेसे प्रचयंसित इज तो शन्ओंकफों नीचे करता है ॥ १ ॥ का... जेभ. जो सरे मन और अन्य इंद्रियोंको अपधिय है, जो सुनने आानंदिन नहीं करना, जो मेरा निरस्कार करता हैं, चह्द दुपछठ स्वप्न मेरे शाय्यकी सो ७५ च््ि कि कर च्् का ल्न्य व जादे । सें इस सकल्पदात्तिक द्वारा उन्नत होता टू ॥ २ ॥ अ<्स्स्ट्स्ट्ट्ट्स््घ्ट्ट्श्स श६हह<स€स€स्घ८टस्‍८सूस्स5उरऊेउउ532335355355553535553 पर सर झा या सा साय ये ये या से थे सी वन मर झ सदन जन न नर प्र थे इज 2ज22उठ2990 399 39 >829232'2280983922%998982808595083228+2399़09983225928390%233घ223833282222अउ9333उजअज2अ30दफाा




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