इलाजुल्गुरबा भाषा | ilajulgurba Bhasha
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health, आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.7 MB
कुल पष्ठ :
356
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं प्यारेलाल रुग्गू - Pt. Pyarelal Ruggu
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इलाजुल्युरबा भाषा । ७
उसका छिलका अरहर से गर्म है । अरहर गे, खुश्ड और कई.
वैद्यों के विचारसे ससूरके समान है और अफरा मसूर से अधिक
रखताहे। यह दोनों बुरे दोष पैदा करते हैं और उड़द्सद और तर
हे,साथ ही देर में पचता है । उसके दुरुरत करनेवाली सोंठ और
हींगहे । अझरहर और ससूर से पाचनशुक्ति अधिक रखता है। यदि
कब्ज न करें और पच जावे तो अपनी लस से दूध और वीर्य
पैदा करता हैं । बाजरा ठंढा खुश्क, काबिज और पाचनशक्ति
कम रखता है और खून को पैदा करता है । इसी कारण
मुख में दाने पैदा करता है और खुश्की और प्यास अधिक
लगाता है । इसी कारण हिन्दू लोग इसको गर्म कहते हैं ।
दुरुस्त करनेवाला इसका दूध है जुवार सफेद और गन्दी
अफरा कम करती है और खाने में अच्छी है परन्तु बद्धकोष्ट-
कारक हे । मोठ को हिन्दू ग्स और खुश्क जानते हैं, अफरा
करती है । बुरे दोषों को उत्पन्न करनेवाली और देर में पचती
। मटर अफरा करनेवाला, उपड्रवी, दोष का पैदा करने-
वाला ओर अतीसार का कारण है । देहातियों का अज्ञ काकुन,
मेडुवा, सावां और कोदों हैं । सेडुवा और काकुन, सावां और
कोदों से उत्तम हैं । यह तीनों ठगरे खुश्क वद्धकोष्ठ करनेवाले
और हत्के हैं । इनका दुरुस्त करनेवाला घी है ।
खमीरी रोटी जो खट्टी न हो तो सादी रोटी से उत्तम
है और जत्दी पचती है, परन्तु सादी रोटी से झफरा अधिक
करती हे और सादी रोठी खमीरी से देर में पचती है । मेदे
की रोटी बहुत भारी होती है और वह रोटी जिसमें भूसी
अधिक हो हल्की होती है । उससे सुद्दा नहीं पढ़ता है। गम
रोटी खाना कोष्ठ की तरी को खुश्क करता है । ठणढी रोटी
कोष्ट को तर करती है और जो रोटी-कि सर्दी और गर्मी में
समान है उसका खाना उत्तम है । सुखी रोठ़ी खुश्की करने-
वाली और देर में पचती है। बाजरे और जुवार की रोटी
User Reviews
bhikam jangid11a
at 2021-02-10 09:01:41"पुस्तको के मुल्ये भी बताये जाने चाहिए "