सरस्वती संवाद | Sarswati Sanwad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
269
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शम्भुनाथ पांडेय - shambhunath Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“प्रसाद” का व्यक्तित्व श्र कृतित्व दर
नाणणणााााााााशएएल्एएए
संयभित मावनाघारा है ! दो चार गौठीं में ्वतीत की मनोरम स्पृतियाँ मी आई
है, पर उनमें 'श्रांदू” की सी श्रमाव या शूत्यता की व्यंजना नहीं हैं। अब तो वे मनो-
रम क्षण जगत में नया सौन्दर्य लाने की चेप्टा में सलग्न हैं । “रो सागर संगम
शरण नील' जैसे कुछ गीत प्रसाद जी की पुरी यात्रा के स्मारक हैं और प्राकृतिक
सौन्दर्य की श्रनोखी माँकी से समन्वित्त हैं । प्रेम दौर करुणा की तात्विक मावना
का चित्रण लहर” में महात्मा बुद्ध के जौवन-प्रसंग और उनकी दाशंनिकना की
बारे भूधि पर किया गया है । शेरसिंद का 'शरसत्न समपेण' श्रौर 'प्रलय को छाया
के रुप में दो नाटकौय श्राख्यानक मौतियाँ मी 'लहर' में हैं 1 उनमें क्रमशः परा-
जित चीरत्व' और सौ दर्य गर्व का विवरणुपूर्ण मनोवैज्ञानिक चिश्रण है। प्रसाद
जी की रेखाए' इन चित्रणीं में पर्यो्त पुष्ठ हैं, जो उनकी कलात्मक समृद्धि का प्रमाण
कही जा सकती दै । इसी 'लहदर' में “बीती दिमावरी जागरी' शीर्पक व जागरण
गीत हे; जो कदाचित् प्रमाद जी के सम्पूर्ण वाब्य प्रयास के साथ उनकी युग-
चेनना का परिचायक प्रतिनिधि गीत बा जा सकता है ।
'कामायनो' प्रसाद जी के कृतित्य का सर्वोत्कृप्ट स्वरूप है। जिसमें सवोज्ञ-
पूर्ण जीवन दर्शन नारी पुरुष का सम्पूर्ण चिश्रण दौर नई जीवन परिस्थितियों का
व्यापक निरुपण है । नए शाने का विस्तृत उपयोग उसमें क्या गया है । 'कामा-
यनी' में कवि प्रसाद ने श्रादि मानव का शाख्यान लिया है और उसे
प्राचीन कथा तसतु का सहारा लेकर नए उपकरणों से सजित किया है । कयानक
में मनोविज्ञान के साथ मानव सम्यठा कै विकार्स का वैज्ञानिक चित्र भी दिखाया
गया दे। इस प्रकार काव्य का कथयानक तो सए विशाल को उपयोग करता है,
उसे गति श्रौर विस्तार देता दै, और इस विज्ञान समन विकास को सार्पक्ता
श्रीर श्रालोक देसे के लिए कवि ने मारतीय दर्शन का सुन्दर उपयोग किया है |
'कामायनी' के कथानक या वस्तु संघटन में जिस प्रकार पश्चिम की नई वैशासिक
रुसत्ति के साथ भारतीय दर्शनों को प्राचीन निधि का उपयोग किया गया है, उसी
के अनुरूप कामायनी' में दो नारी चरित्र भी ई--एक श्रद्धा 'मारतीय भावना
दौर दर्शन की अतिनिधि; श्रौर दूसरी डा” नए वैज्ञाचिक विकास पी प्रचीक |
इन दोनों का सन्तुलन श्रौर समन्वय नवीन मारतीय सर्कृति को 'कामायनी' के
कि की नई देन है +
प्रसाद जी ने नाट्य चर में लाटक को लए; चरित्र, लई घटनाएं ; नया ऐहि-
द्वासिक देशकाल नया श्ालाप संलाप, सच्तेंप में सम्पूस नया समारम दिया है ।
दिन्दी नाटकों में नया युग प्रवर्तन होने लगा 1 प्रसाद के नादक ऐतिहासिक हैं,
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