लिंग संवेदन जीवन कौशल उपागम का प्राथमिक स्तर पर पाठयचर्या क्रियान्वयन | Ling Samvaden Jivan Kaushal Upagam Ka Prathmik star Par pathaycharya Kriyanvayan

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Ling Samvaden Jivan Kaushal Upagam Ka Prathmik star Par pathaycharya Kriyanvayan  by उषा नय्यर - Usha Nayyar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कि नक वि की कमी कई तक सभी बच्च शिक्षा प्राप्त कर लेगे। परन्तु जमी भी माध्यमिक विद्यालय की कमी कई होनी में है खासकर जो विहार या चूर दराल के इलाकों है | जियो की तो क्या बात है लडक भी इन क्षेत्रों में माध्यमिक विद्यालय तक नहीं पहुँच पाते | आज की शिक्षा का अर्थ केवल आर्थिक उपलब्धि, नौकरी, अधिक वेतन और उस रे जुड़ा मान सम्मान तक ही सीमित रह गया है। यह दृष्टिकोण अति कुठित है क्योंकि इस से उपजत्ती अनुचित प्रतिस्पघा और दूसरों को रोधते हुऐं आगे बढ़ने की लालसा न की भाई चारा शीर आपस में मिल कर रहने की भावना | आज के समाज मे मनुष्य की पहचान उसका विकास उसकी आर्थिक क्षमता से किया जा रहा है। शिक्षा व समाज के मुल्य उसी तरह से बदलते जा रहे हैं । सहयोग के साथ मिलकर काम करने की जगह अस्वस्थ प्रति-स्पर्धा व अनुचित माध्यम से द्वेश की भावना बढती जा रही है । नौकरिया केवल हजारों मे है और नौकरी चाहने वालो की लाइन लाखो में है। दिन प्रतिदिन मानवीय मूल्यों हरास होते जा रहे है और शरीर का सर्वागीण विकास केवल एक कहने की बात बन क्र रह गई है। स्कूली शिक्षा भी विद्यार्थियों को उसी संदर्भ में तैयार कर रही है। आज के विद्यार्थी शिक्षित होकर भी शिक्षित नहीं हैं । शिक्षा के सही मूल्य व कौशल सही माने मे जीवन में उतारने में सक्षम नहीं हैं | मूल्यों की हानि सामाजिक कुरीतियों को बढावा देती जा रही हैं। की




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