बीस कवियों की समालोचना | Bees Kaviyon Ki Samalochana

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Bees Kaviyon Ki Samalochana by दीपनारायण द्विवेदी - Deepanarayan Dvivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रे) ( ग ) कालिं करन री आल कर, आज करन सो 'घब्य | पल में पराय होयगी, यतुरि करेगा फरय ॥ ! ( देसती नया श्रनगद भाएं हे (ग) फीन ढगया गगरिया लुटल हो । सन्डन वाद को घनल स्यटोलना, तापर छुलडिन सूनत ये ॥ उदासी ससी मोरि सोय सेयारो मास उुलदा रुटल हो 1 ढक कह. ३ हक हकक | के के के # के हे का केक कक ( पूवी मापा ) (१) लघुता से प्रमुता मिलें, मभ्रुता से मभु दूरि। चॉटी से सदर चली, हाथी फें सिर धूरि ॥ ( खऱी दोली ) (९३ इसने के हस्क सस्ताना, हमन को शोशियारी फ्या 1 ही ्ाजाद या तंग से हमने दुनिया से बारी पया ॥




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