मजदूरी नीति एवं सामाजिक सुरक्षा | Majaduri Neeti Avam Samajik Suraksha
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
382
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रम-बाजार की विशेषताएं, श्रम की माँग एवं पूर्ति 5
नहीं कर सकते, लेकिन श्रम मिना अन्य साधनों की सहायता से भी उत्पादन कर
सकता है 1
2. श्रम को श्रमिक से प्रयक् नहीं किया जा सकता (1.80007 बेड उत564-
शीट दिएए हॉट द.प/0पाटा )-उत्पादन के अन्य साथतों को उनके स्वामियो से पृथक
किया जा सकता है, जैसे भूमि को भू-स्वामी तथा फूजी को पूंजीयति से पृथक किया
जा सकता है, लेकिन श्रम को श्रमिक से प्रयक् तहीं किया जा सकता । यदि एक
श्रमिक अपना श्रम वेयना चाहता है तो उसे स्वय को जाकर कार्य करना पड़ेगा ।
3. श्रमिक श्रम देचता है लेकिन सवपं का. मालिक होता है (1:2000767
इी!ड छड घॉ0प 90 ९ फएरटॉ 5 छिंड एावड(९0)--श्रमिक घ्रपना श्रम वेचतता
है। वह भ्रषने को नहीं वेचता त्तया जो भी गुण व कुशलता उसमे होते है, उनका
वह मालिक होता है । श्रम पर किया गया विनियोग [प्रशिक्षण व दक्षता) इस
हप्टि से महत्त्वपूर्ण होता है ।
4, श्रम नाशवास है. (1.800ए१ 15 फटा डॉडिवॉडट पैन-श्रम ही एक ऐसा
साधन है जिसका संचय नहीं किया. जा सकता । यदि एक श्रमिक एक दिन का्यें
नहीं करता है तो उसका उस दित का श्रम सदेव के लिए चला जाता है । इसी
कारण श्रमिक झपना श्रम बेचने के लिए तंयार रहता है ।
5. श्रमिक की सोदाकारी शक्ति दुर्वेल (1.80007. 35. 0० फष्व्ाट
एमबीए ए०क€९)--श्रमिक भपना श्रम बेचता है तथा श्रम के क्रेता पूँजीपति
होते हूँ । मालिकों की तुलना में श्रमिकों की सौदा करने की शक्ति कमजोर होती
है क्योंकि श्रम की प्रकृति नाशवान दें, वह प्रतीक्षा नहीं कर सकता, वह झाधिक
डृष्टि से दुर्बल होता है, वह अज्ञानी, झशिक्षित व झतुभवहीन होता है । श्रम संगठन
दुर्बल होते हैं, बेरोजगारी पाई जाती है । इन्ही बातों के कारण श्रमिकों को निम्न
मजदूरी देकर पूंजीपति उनका शोषण करते हैं ॥
6, थम की पूर्ति में चुरन्त कमी करना सम्भव नहीं (5ए991% ०७1 12000
2४00६ ए९ धणाभ रह उफाश्त ९४ )--मजदूरी में कितनी ही कमी क्योन
करदी जाए श्रम की पूति तुरन्त घटायी नहीं जा सकती 1 श्रम की पूत्ति मे तीन रुप
मे कभी की जा सऊझती है-जनसख्या को कम करना, कार्येक्षमता में कमी करना
तथां श्रमिकों को एक व्यवसाय से दूसरे व्यवसाय मे स्यानान्तरित करना परन्तु इसमें
सम लगेगा ।
7 घम पूंजो से कम उत्पादक (ह.श0था 15 1655. फए०ऐपटीफट पिव्ा
ध्वफाशिओ )--श्रम को श्रघिक उत्पादन हेतु पूंजी का सहारा लेना पड़ता है । पूंजी की
तुलना में असम कम उत्पादक होता है । मशीन से झधिक उत्पादन सम्भव होता है ।
8. थम पूंजी से कम गतिशील. (उ.800णा उड 155 इ्ए0 हट छिंशा
स्वयं) श्रम मानवीय साधन होने के कारण कम गतिशील होता है 1 यह
वातावरण, फंशन, आदत, रुचि, घ्में, भाषा आदि तत्तों से प्रभावित होता है
जबकि पूंजी नही ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...