प्रकाशिकी सुदूर संवेदन एक परिचय | Prakashikee Sudoor Sanvedan Ek Parichay
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
639 KB
कुल पष्ठ :
51
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ओ. पी. एन. कल्ला - O. P. N. Kalla
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काली शंकर - Kali Shankar
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हो मिलाकर वायुमंडलीय संघटक इस तरंग बैड में बहुत कम प्रवशोपश
दिखाते हैं 1 इस क्षेत्र को “वायुमंडलीय गव'झ' कहते हैं ।
बस्तुएं विद्युत चुम्बकोय तरंगों का उत्मज॑न मिंदी मीटर माइप्रोवेव
सत्र में भी करती हैं, जैसे 01 मि० मी० से 3 से० मी० तरंग देध्यं की शाटं
रेडियो सुरगें 1 उत्सजुन प्लैक नियम को मानता है बयोकि रेले सप्तिवटन तभी
लागू होता है जब तरंग देध्य बढ़े होते है। इस सप्तिचटन के अनुसार प्रति
इकाई क्षेप्र में निम्न उत्सजित ऊर्जा होगा,
ह(त८८ +[ 2 ट९)1/८१0,८
मरिकसन से यहू दिखाया जा सकता है कि ऊर्जीए बहुत छोटी हैं ।
तेकित रेडियो तरंगों के रापूचन के तरीकों में इतनी भ्रपिक उपति हुई है कि
विशाल क्षेत्रों से उत्सजित माइक्रोवेव ऊर्जा--सी वंग॑ कि० मी० था भधिक--
वा संसूचन एक ऊचे उड़ने वाले वायुयान से किया जा सकता है; दूसरे शब्दों
में, हवाई जहाज में रखे संसुचक कुछ हजार कि० मी० के द्वारा उत्सजित
विकिरण का संसूचन कर सकते हैं । इस प्रकार के विकिरण एक समुद्र के
ऊपर तरंग स्पर्दन को म्वस्था के संसूचन में उपयोगी होते हैं । इस तकनीक
में निष्क्रिय माइफ्रोवेव तस्त्री का प्रयोग शामिल है। दूसरी भोर सयिय
माइफ्रोवेव तन्म्र भी हैं. जिनमें वायुपानों में उत्पादित माइफ्रोवेव ऊर्जी पृथ्वी
की सतह का किरणन करती है तथा परावतित/विखरित माइफ्रोवेव ऊ्जी का
संसूचन छोटे से वायुपान में रखे उपकरणों की सदद से किया जाता है ।
परावततिते/ विलरित तीप्रताएं परावर्तित/विखरित सतह के गुणों पर निर्भर
करती हूं घौर इसलिए इन लक्षणों का प्रयोग विभिन्न प्रकार की चट्टानों,
मिट्ी, वनस्पति इत्यादि के पहचानने तथा पता लगाने में किया जा सकता
है। दो प्रकार के तंत्रों में निष्क्रिय तंत्र भधघिक लामदायक है, बयोकि इसके
अन्तगंत चसतु के दारा उत्सजित विकिरण वस्तु के स्वयं के द्वारा फेंबे गये
बिदिरश की अपेक्षा वस्तु के व्यक्तित्व से सम्बन्धित थोड़े श्रधिक विवरण
प्राप्त कराते हैं ।
2. सानद दृष्टि
मानव भांख विलक्षण रूप से सवेदी श्ौर स्वेतोमुखी उपकरण है,
जिसे प्रकृति ने हमें प्रदान किया है। सुदूर संदेदन में पह एक भ्रावश्यफ
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