माताओंके उपदेश | Mataon Ke Updesh
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुनीति .
“और
थु च्योन समयसें हमारे सारतवर्षमें मियुवत नामक पक
पाए राजा थे। उनके सुरुचि तथा खुनीति नामकी दो
न रनियां थीं। खुनीतिपर राजाका वसा भ्ेम नहीं
था. जे सा सुरुचि पर। छुनीतिके गर्मसे हो छोक पावन-
रू चुका जन्म हुआ था । सुरुचिके गर्म से राजाके जो पुन्न हुआ
था, उसका नाम उत्तम था ।
पक समयकी बात है, कि सिंदासनासीन अपने पिताकी शोद्-
मे उत्तम बैठा था। उत्तमकों पिताकी गोदमे बैठ देख कर
वाछक शूचकी भी इच्छा हुई कि में भी पिताकी गोदमें वैट्ट' ।'
वाऊक दी तो था--मचल पड़ा; पर उस रण, राजामें इतनो
सौंतेछे लड़केको गोदमें बे ठाता । उसने पुत्र भूवकों भ्रेमपूर्ण
शब्दोंमें कुछ समग्दाया तक नदी ! सुरुचि तो यह चादती दी थी !
राजाका रुख देख कर उसने जठीकटी वातोसे ्रूवका घोर
तिरस्कार किया और उसे अभागा कद कर. राजञाकी गोदमे
बेठनेके अयोग्य बताया । बाठक भ्रूवकों अपने मातापिताका
क
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