माताओंके उपदेश | Mataon Ke Updesh

Mataon Ke Updesh by सत्यचरण शास्त्री - Satyacharan Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुनीति . “और थु च्योन समयसें हमारे सारतवर्षमें मियुवत नामक पक पाए राजा थे। उनके सुरुचि तथा खुनीति नामकी दो न रनियां थीं। खुनीतिपर राजाका वसा भ्ेम नहीं था. जे सा सुरुचि पर। छुनीतिके गर्मसे हो छोक पावन- रू चुका जन्म हुआ था । सुरुचिके गर्म से राजाके जो पुन्न हुआ था, उसका नाम उत्तम था । पक समयकी बात है, कि सिंदासनासीन अपने पिताकी शोद्‌- मे उत्तम बैठा था। उत्तमकों पिताकी गोदमे बैठ देख कर वाछक शूचकी भी इच्छा हुई कि में भी पिताकी गोदमें वैट्ट' ।' वाऊक दी तो था--मचल पड़ा; पर उस रण, राजामें इतनो सौंतेछे लड़केको गोदमें बे ठाता । उसने पुत्र भूवकों भ्रेमपूर्ण शब्दोंमें कुछ समग्दाया तक नदी ! सुरुचि तो यह चादती दी थी ! राजाका रुख देख कर उसने जठीकटी वातोसे ्रूवका घोर तिरस्कार किया और उसे अभागा कद कर. राजञाकी गोदमे बेठनेके अयोग्य बताया । बाठक भ्रूवकों अपने मातापिताका क




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