मुगल साम्राज्य की जीवन - सन्ध्या | Mugal Samrajy Ki Jivan Sandhya
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
263
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सरसरे हादसा बर्खस्त पये ख्वारिए मा,
दाद बरखाद. सरोबग जहानदारीए मा ।
(दुर्भाग्य का. तूफान हमें मिटाने को उठा,
इसने हमारी बादशाहो हुकूमत को मिटा दिया ।)
-प्राफताब (शाह श्रालम)
न किसी की श्राँंख का नूर हूँ ।
नकिसी के दिल का करार हूँ ।
जो किसी के काम न श्रा सके,
मैं वह एक. मुश्तेग्बार हूं।
मै वह कुद्ता हूं कि मेरी लाश पर एं. दोस्त,
एक जमाना दीद-ए हसरत से तकता जायगा !
-जफर
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