समाजशास्त्र की रूपरेखा भाग - 2 | Samajshastra Ki Rooprekha Bhag - 2

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Samajshastra Ki Rooprekha Bhag - 2 by राम विहारी सिंह तोमर - Ram Vihari Singh Tomar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भ्रध्याय पृष्ठ २२. अपराध कक ज३ € एपंफ्ार ) रद रश. रद. झ्पराघो का वर्गीकरण--झपराध के कारण--शपराधो का नियन्त्रण दण्ड का सिद्धास्त -सुधारात्मक सिद्धा्व--म्रपराधी और समाज-- अपराध निरोध । दाल श्रपराध दे६ रे १७ 4 उाश्यर? 9हंचपूणशाल | बाल अ्रपराघ का ग्र्थ--वाल अपराधी तथा वयस्क श्पराधी में अस्तर-- बाल अपराघ का विस्तार--वाल अ्रपराधों के प्रकार-- बाल श्रपराध निरोध--जाल न्यायालय की उत्पत्ति तथा विकास--वाल न्यायालय त्तथा अन्य स्यागालयों में तुलना -बाल श्रपराधी का उपवार । सप्तम खण्ड मानव प्रकृति एवं सामूहिक व्ययदार ४१४--४६८ ( सिपाका रपट बाएं एलाधटपं१€ सट81पं0घा ) मानव प्रकृति--( पाए परिवएट ) पशुम्नो के व्यवहार के झाधार पर 1 इररे-इरर ट्रापिज्म और प्रतिक्षेप क्रिया इर३े-४२६ ( णफोड्चा 2घत एिधड (पी ) प्रतिमान प्रतिक्रियापो का अर्थ--ट्रापिज्स--ट्रापिज्स के सिद्धान्तो की ब्ालोचना -प्रतिक्षेप क्रिया--कार्य प्रणाली--साधारण प्रतिक्षेप क्रिया, स्ूखला-प्रालोचना--प्रतिक्षेप किया तथा ट्रापिम्स में अन्तर । सुल्त प्रवृतियों का सामान्य स्वरूप ३०्थर ( एहालाओ ऐरे2(पा€ 0 व्िनीपटड ) मुख प्रवृत्ति का ग्र्थ--कुख अन्य विद्वानों द्वारा मूल प्रवृतियों की परिभाषायें--मूल प्रवृति ब्ौर प्रतिकषेप क्रिया - मेकंडूनल के मूल प्रवृति सिद्धान्त की कुछ विशेषतायें--आलोचना--सुल प्रवृति और बुद्धि का सम्बन्ध 1




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