श्री मद्रविशेणाचार्यकृत पद्मचरितम भाग - 1 | Shri Madravishenacharyakritam Padmcharitam Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
520
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुबापुराणम द प्रथम प्वे ।
संगम बनमालाया अतिवीयसमुन्नातिं । प्राप्ति च जितपद्माया! कोलदेशविभूषण ॥ ८ हे ॥।
चरित॑ कारण राम चत्यानां वंशपवेते । जटायुर्नियमप्राप्ति पात्रदानफलोड्य ॥ ८४ ॥
मददानागरथारोदं शंककवि निपातन । कैकसेय्याश्र बृत्तांत खरदूषण बिग ॥ ८५ ॥
सीताहरणशोक॑ च शोक रामस्य दुद्धर । विराधितस्यागमनं खरदूषणपंचतां ॥ ८६ ॥
विद्यानां रत्नजटिनः छेद सु्र।वसंग्म । निधन साहसगतेः सीतोदंत विह्ायसा ॥। ८७ ॥
यान विभीषणायानं विद्याप्ि हरिपभययाः । इंद्रजित्कूंभकर्णाब्दस्वरपन्नगबंधने ॥। ८८ ॥।
सोमित्रिश्क्तिनिर्ेद विद्यल्याशल्यताकृति । रावणस्थ प्रवेश च जिनशयांतियृदं शुभ ॥ ८९ ॥
लेकाभिभवन म्रातिहार्य देवे: प्रकट्पित॑ । चक्रोत्पाति च सोमित्र: कैकसेयस्य हिंसनें ॥ ९० ॥
बिठाएं तस्य नारीणां केवल्यागमनं ततः । दीक्षामिंद्राजिदादीनां सीतया सह संगम ॥ ९१ ॥
नारदस्थ च संप्राधिमयोध्याया निवेशने । पूवेजन्मालुचरित गजस्य भरतस्थ च ॥ ९२ ॥
तत्पवृज्यां महाराज्य॑ सीरचक्रप्रहारिणः । लामं मनोरमायाश्र लक्ष्म्यालिंगितवक्षसः ॥ ९३ ॥।
सैयुगे मरणप्राप्तिं सुमाधोलेवणस्य च । मथुरायां सदेशञायामुपसगोविनाशने ॥ ९४ ॥
सम्तर्षिसेश्रयात्सीतानिवोसपरिदेवने । वज्जजघपरित्राणं लवणांकुशसं भव ॥ ९५ |
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