चार दानकथा | Chaar Dankatha
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
36
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जेन-साहित्य-मन्दिर, सागर । (१७)
दानवृतान्त ! इन कन्या प्रति चथौ तुरन्त ॥४९॥ तबे
चूघभसेना सुन येह । पहुँची नृपपे हर्षितदेह । शीघ्र
छुडाओ पृथ्वीचन्द्। तब तिन पायो बहु आनन्द ॥४४॥
दोहा 1
अब इस एथ्वीचन्द ने, याको पट लिखवोय
लिस चरनन में सिर घरत, अपनों भाव दिखाय ।४दे॥
था पद्धड़ी ।_..
पीछे वो पट लेकर रिसाल ! इनकौ दिखलायो नायभाल ॥
बृूषसेना तें इम वच उचार । हे देवी तुम मम मान
सार ॥ ४७ ॥ तुमरे पसाद मम जन्म येद । अब सुफ्ल
भयो है विन संदेह ॥ इम खुन चपतिय संतोष पाये ।
राजातें बहु सनसानयाय ॥ ४८ ॥ याकों आज्ञा दिलवाय
दीन । घनपिंगल पे जावौ प्रवीन । यह सुनके प्रथ्वीचंद
राय । पहुंचो निज नगरी माँहिं जाय ॥ ४९ ॥ अब खुनी
मेघ पिंगल नरेश । आये काशीपति मम सुदेश.॥ वह जानत
है सम सब जेद् । ऐसे निश्चय करि धारि खेद ॥ ५० ॥
नप उदसेन के पास आय । हूवो चाकर निज सीस नाथ
जे हैं जन जग में पुन्यवान । तिन अरी होत भित्रन
समान ॥ ४१ ॥
दोहा 1
इस अन्तर इक 'दिनदिणें, उद्सेन नर राय ।
यह विधि परतिज्ञा करी, बहुविधि सन हर्षाय ॥ ५२ ॥
User Reviews
No Reviews | Add Yours...