हिन्दी और राजस्थानी भाषा का तुलनात्मक अध्ययन | Hindi Aur Rajasthani Bhasha Ka Tulanatmak Adhyayan

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Hindi Aur Rajasthani Bhasha Ka Tulanatmak Adhyayan by रामकृष्ण महेन्द्र - Ramkrishn Mahendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वीकानेर एवं जयपुर का पश्चिमोत्तर भाग है । राजस्थानी की भ्रय सभी शाखाओं से यह भौगालिक क्षेत्र, बोलने वालो की. जन सरया, साहित्य श्रादि सभी दृष्टियो से समृद्ध है । प्रियसंन ने इसके बोलने वालो की जन सख्या ६० लाख वताई है । मीरा मारगाडी की प्रतिनिधि कवयित्री थी । राय पृथ्वी राज द्वारा रचित बेलि किसने रुकमणीरी भी मारयाटी की प्रमुख रचना है । ब्रज्रभापा के प्रचार प्रसार एवं महत्ता के पार ण पिंगल के साइश्य पर स० डिकर (सिबक चारण) >> डिंगर >डिंगल शब्द मारवाड़ी भापा का वाचक हो गया । जोबपुरी, वीकानेरी, मेवाडी थली, ठटवी आदि इसकी उप वोलिया ह । क्षेत्रीय आ्राधार पर मारवाड़ी के मुख्यत चार भेद है- श दूर्वी मारवाड़ी २ पश्चिमी मारवाड़ी, दे उत्तरी मारवाढी, ४ दक्षिणी मारवाडी । पूर्वी मारवाड़ी के अझन्तगत मगरा बोली ( मग- रबी ) मेवादी, मारवाड़ी, गिरासिया की. बोली, मारताडी ढुढारी, मेवाड़ी वोलिया ्राती है. ।. गोडवाटीं, सिरोही, देवडा घाटी तथा मारवाड़ी गुजराती, दक्षिणी मारवाड़ी की वोलिया है । पश्चिमों मारवाड़ा में थली एवं ठटकी थोलिया श्राती ह । बीकानेरी शेखावादी तथा वागडो, उत्तरी मारवाड़ी वी शाखाए है । सगीत के क्षेत्र म 'माड' राग के लिए मारवाडी को सर्वो- ररप्ट भाषा माना गया है । कहा भी गया है “छदो में सीरठ छुद एव रागों मे माड राग जितना सारवाडी मे झच्छा निखरता है उत्तना अच्छा झप किसी मे नही ।




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