प्रायश्चित्त भाग - 2 | Prayashchitt Bhag - 2
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
306
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सया परिचय.
उमनिक विचार करता हुआ श्रीकान्त, रामदेव के पास ध्याफर
खा होगया । रामदेव को भी जाने की जल्दी थी, फिर सी वह
श्रीकान्त की तरफ देखता तथा उसी तरह हँँसता हुआ खडा रहा 1
थोडी देर में सु्ताफिर कम होगये और प्लेटफॉर्म खाली हुआ । छुछ
शी बोले बिना, एक-दूसरे के सामने ढेखकर दोनों स्टेशन के वाहर
निकले । बाहर, मैदान मे झाते ही श्रीकान्त ने पूछा--
“माप कहाँ जायेंगे १”
“एक मित्र से सिलने के लिये यहाँ श्राया हूं, रात को वापस
लोड जाऊंगा” ।
“कल ही झापको दीक्षा सिलेगी 1”
“हाँ, क्या तुम्हे कुछ श्याश्य होता है ?”
“आशय क्यो न होगा * श्माखिर छापकों हिन्दू-वर्म क्यों छोड़ना
पड रहा है ? ”
“क्यों छोडना पड रहा है | मेरी इतनी बात सुनकर भी तुम
न समझ पाये १ मे, मनुष्य हूँ, इसलिये * सुक्ते जीवित रहना है
थ्यौर सुखमय-जीवन व्यतीत करना है, इसलिये !””
पृ
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