भारतीय वांग्मय में सीता के स्वरुप | Bhartiya Vangmay Me Seeta Ka Swaroop
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
466
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सीता का उदभव और विकास / ३
पुराण साहित्य में हरिवंश, विप्णु, वायु, ब्रह्मांड, भागवत, कूर्म, वाराह
अग्नि, लिंग, वामन, ब्रह्म, गरुड़, स्कन्ध, पद्म तथा ब्रह्मबैव्त पुराण में न्यूनाधिक
रूप में सीता कथानक प्राप्त है। उपपुराणों में विप्णुधर्मोत्तर, नरसिंह, वद्धि; शिव;
देवीभागवत, महाभागवत, वृहददर्म, सौर, कालिका, आदि तथा कल्कि पुराणों में भी
सीताविषयक रोचक कथानक उपलब्ध हैं, जिनमें सीता चरित्र में विकास के दर्शन
होते हैं ।
संस्कृत ललित साहित्य के अन्तर्गत महाकाव्यों, नाटकों एवं अन्य काव्यों में
नीता जी से सम्बद्ध पर्याप्त रोचक सामग्री प्राप्त होती है । महाकवि कालिदास का
र्घुबंध, कविवर भट्ट का रावणवध, कुमारदास का. जानकीहरण, अभिनन्द कृत
काव्यों एवं चक्रकत जानकीपरिणय, अद्धैतकृत रामलिंगामृत तथा राघवोल्लास एवं
मोहनस्वामी कृत रामरहस्य प्रभ्नृति अर्वाचीन महाकाव्यों में सीता जी का व्यापक
उल्लेख किया गया हैं 1 ०
संस्कृत साटक साहित्य में भी रामकथा और सीताचरित्र का विदिध प्रकार से
उल्लेख मिलता है। भासकृत्त प्रतिमानाटक एवं अभिलेखनाटक सीतासाहित्य की
प्राचीनतम कृतियाँ मानी जाती हैं । इसकें पश्चात् महाकथि भवभश्ुति की दो रचनाएं
महावीरचरिति तथा उत्तररामचरित परम श्रसिद्ध हैं इनमे सीता जी की कथा अत्यन्त
रोमांचक पद्धति से प्रस्तुत की गयी है । इनके अनन्तर धीरनाग कृत कुन्दमाला, सुरारि
कृत अनर्थव राघव, राजशेखर कृत वालरामायण, दामोदर सिश्च सम्पादित हनुमन्नाटक
(महानाटक), जक्तिभद्रकृत आश्चर्यचूड़ामणि प्रभनृति नाटकों में सीता के कथानक
प्रात हैं । इनके अतिरिक्त महादेव कृत अदृभुतदपंण, ट्स्तिमल्लकृत मैथिली-कल्याण,
भार्करकृत उन्मत्तराघव, सुभटकृत दुर्तांगढ, छविलालकृत कुशलवोदय, व्यास मिश्र
कृत रामाध्युदय, रामभद्र दीक्षित कृत जानकी परिणय प्रश्नति नाटक भी सीता कथा
से सम्बद्ध माने जाते है ।
उदारराघव, छलितराम, राघवानन्द, मायापुप्पक, स्वप्नदशानन, छृत्यारावण
र्घुविलास, राघवाभ्युदय, प्रसनराघव, उल्लाघ राघव प्रति अनेक नाटक अप्राप्य
है, जिनमें सीताकथानक का अस्तित्व था । संस्कृत शौंहिंत्य में महाकाव्यों एवं नाटकों
के अतिरिक्त इ्लेपकाव्य, विलोमकाव्य, चिन्नकाद्य; खण्डकीव्य; सब्देंशकाव्ये, ्ञस्पुकाव्य
तथा कथा साहित्य प्रश्नति साहित्यिक विधाकीं में भी सीता . कथा से सस्व््धेविपुल
सामग्री प्राप्त है, जिसका यथास्थान विज्लेपण किंका जायेगा । 5
संस्कृत ललित साहित्य के अतिरिक्त संस्कृत धार्मिक साहित्य से सीता जीं के
विकसित स्वरूप का अत्यन्त रोचक तथा प्रभावपूर्ण वर्णन मिलता है । योगवा सिंप्ठ
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