श्रावक - धर्म - संग्रह | Sravak Dharm Sangrah

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Sravak Dharm Sangrah  by दरयाव सिंह सोधिया - Daryav Singh Sodhiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भगवान महावीर के सिद्धांत हम स्यादवाद का डंका फिर, दुनिया में आज बजायेंगे । प्रभु वीर जिनेश्वर के गुण गा, जग से मिध्यात्व हटायेंगे | । हठ का हम भूत भगगयेंगे, ट उसेक्षा से. समझायेगे । अनर्के गुण हैं वस्तु में, स्पाद वाद से. बतलायेंगे । | है एक उमंग भरी दिल में, लहरायें अहिंसा का झंडा | हो भव्य जीवो से भरी हुई, पृथ्वी को. कर दिखलायेंगे। । परिग्रह वृत्ति को दूर भगा, आकिंचन धर्म अपनाएगे । सिद्धान्त तीन महावीर के हैं, जन-जन में हम पहुचायेंगे। । समंत भद्र जैसा डंका, अकलंक बन आज बजायेंगे। आचार्य कुन्द-कुन्द कह गये, अध्यात्म सुमन सजायेंगे | | जिन धर्म का बिगुल बजायेंगे, हम दूर भगा कायरता को । सब छोड़ वथा झगडों को हम, झण्डे की लाज बचायेंगे | । 2टा तु




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