महावीर री औओल्लखन | Mahaveer Ri Auollkhan
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४. श्रभिनस्दत :
चौथा तीर्थंकर श्री श्रभिनन्दन हुया। इणा रो जनम
श्रयोध्या नगरी में हुयो । आपरे पिता रो नाम महाराजा संवर श्र
मातारो महाराणी सिद्धार्था हो । इणांरो लांछण वानर है। सुनि
धरम भ्रगीकार कर श्राप कठोर तपस्या करी श्र सम्मेदसिखर पर
निर्वाण प्राप्त करियो ।
५. सुमतिनाथ :
पांचवा तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ हुया । श्रापरो जनम श्रयोध्या
में हुयो । भ्रापरो लाॉछण न्रौंच है । श्रापरै पिता रो नाम महाराज
मेघ श्र माता रो राणी मगठावती हो । श्राप कठोर तपस्या कर'र
केवछज्ञानी बष्या श्रर सम्मेदसिखर सू' मुगति प्राप्त करी ।
६. पदमप्रभु !
छुटूठा श्री पदमप्रभु रो जनम कौसाम्बी नगरी में हुयो ।
इणांरे पिता रो नाम महाराजा घर श्र माता रो सुसीमा हो ।
श्रापरो लांछण कमछ है । श्राप दीक्षा लैय नै कठोर तप करियो झर
केवठज्ञान प्राप्त कर संसारी प्राणियां सै घरम रो उपदेस दियो ।
सम्मेदसिखर सु श्राप निर्वाण प्राप्त करियो ।
७. सुपाइवेंनाथ
सातवां तीर्थकर श्री सुपाश्वंनाथ रो लॉछश स्वस्तिंक है ।
श्रापरो जनम वाराणसी में हुयो । श्रापरे पिता रो नाम महाराज
प्रतिष्ठसेन अर माता रो राखी पृथ्वी हो । झाप घोर तपस्या कर'र
सम्मेदसिखर सू निर्वाणु प्राप्त करियो ।
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