महावीर री औओल्लखन | Mahaveer Ri Auollkhan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mahaveer Ri Auollkhan by शान्ता भानावत - Shanta Bhanavat

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शान्ता भानावत - Shanta Bhanavat

Add Infomation AboutShanta Bhanavat

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
४. श्रभिनस्दत : चौथा तीर्थंकर श्री श्रभिनन्दन हुया। इणा रो जनम श्रयोध्या नगरी में हुयो । आपरे पिता रो नाम महाराजा संवर श्र मातारो महाराणी सिद्धार्था हो । इणांरो लांछण वानर है। सुनि धरम भ्रगीकार कर श्राप कठोर तपस्या करी श्र सम्मेदसिखर पर निर्वाण प्राप्त करियो । ५. सुमतिनाथ : पांचवा तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ हुया । श्रापरो जनम श्रयोध्या में हुयो । भ्रापरो लाॉछण न्रौंच है । श्रापरै पिता रो नाम महाराज मेघ श्र माता रो राणी मगठावती हो । श्राप कठोर तपस्या कर'र केवछज्ञानी बष्या श्रर सम्मेदसिखर सू' मुगति प्राप्त करी । ६. पदमप्रभु ! छुटूठा श्री पदमप्रभु रो जनम कौसाम्बी नगरी में हुयो । इणांरे पिता रो नाम महाराजा घर श्र माता रो सुसीमा हो । श्रापरो लांछण कमछ है । श्राप दीक्षा लैय नै कठोर तप करियो झर केवठज्ञान प्राप्त कर संसारी प्राणियां सै घरम रो उपदेस दियो । सम्मेदसिखर सु श्राप निर्वाण प्राप्त करियो । ७. सुपाइवेंनाथ सातवां तीर्थकर श्री सुपाश्वंनाथ रो लॉछश स्वस्तिंक है । श्रापरो जनम वाराणसी में हुयो । श्रापरे पिता रो नाम महाराज प्रतिष्ठसेन अर माता रो राखी पृथ्वी हो । झाप घोर तपस्या कर'र सम्मेदसिखर सू निर्वाणु प्राप्त करियो ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now