साहित्य परदीप भाग - ३ | Sahitya Pardep Bhag-3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सरिद्वार घर हपीकोश वी याघा च
स्वाश्प्यनद्धन द्धन श्र थादाटकरत्द--सं झपनी समझा
नहीं रखहा ई 1 इस स्थान पी. ममामादिनी शक्ति दयन कं
चादर है
इस १९ जून फो छसनऊ में पंजाव मंत्र के द्वारा चलें ।
सारे में एक दो विशेष पटना घटा, श्वघनगदेलगट रेल पर
इरिद्ार ये समीप लुफसर नामक एक स्टेशन हैं। इम सप
डेडरा-दहादायादयालो गाड़ी में निशियस पैठ वार्वाताप कर
रहे थे फि एक धायू साइय 'मपने धाल-पर्च्यों के साथ उसी
डिब्पे में था घिराजें । गाढ़ा तेज दोकर कुछ दो श्रागों गई
दागो कि घायू साइय फे छाटे बच्चे से हनका सनीयेंग, शिसके
अन्दर लगभग उऊ०] के नाट धार कुछ रापये-पैंसे थे, गाढ़ो से
बाइर गिरा दिया | बाबू सादवं भरे ! घंग | कह फर उछल पढ़ें,
गाद से बच्चा गिर गया | मारे एक मित्र नें तुरंत गाढ़ो खड़ी
करने फी जज़ार खाया, गाढ़ो सदी दो गई । दम लाग उतरे,
ता देखते कया दं कि एक श्रादमी, चलती जुई गाढ़ा से कूद,
बेग डठा बेग से भागा जा रददा दै । दम लाग पीछे दौड़े थार
लगभग ध्ाधे मील पर उसे पकड़ सकें । घंग मिल गया धार
मामला स्पौ-त्यी ठंढा हुआ । गाड़ी फिर चल दी धर इम
लोग सकुशल प्राव:काल ता८ १३ को 'दरिद्वार जा पहुँचे ।
गा यर्प की घ्पेदा इस साल दरिद्वार में बहुत कम मेत्ा
हुभ्मा । मयंफर दुर्मिच श्रौर उससे उत्पन्न घाग दुख दा इस
न्यूनता के कारण दा सकते हैं । यहाँ पर श्रनेक देव-मंदिर
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