साहित्य परदीप भाग - ३ | Sahitya Pardep Bhag-3

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Sahitya Pardep Bhag-3 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सरिद्वार घर हपीकोश वी याघा च स्वाश्प्यनद्धन द्धन श्र थादाटकरत्द--सं झपनी समझा नहीं रखहा ई 1 इस स्थान पी. ममामादिनी शक्ति दयन कं चादर है इस १९ जून फो छसनऊ में पंजाव मंत्र के द्वारा चलें । सारे में एक दो विशेष पटना घटा, श्वघनगदेलगट रेल पर इरिद्ार ये समीप लुफसर नामक एक स्टेशन हैं। इम सप डेडरा-दहादायादयालो गाड़ी में निशियस पैठ वार्वाताप कर रहे थे फि एक धायू साइय 'मपने धाल-पर्च्यों के साथ उसी डिब्पे में था घिराजें । गाढ़ा तेज दोकर कुछ दो श्रागों गई दागो कि घायू साइय फे छाटे बच्चे से हनका सनीयेंग, शिसके अन्दर लगभग उऊ०] के नाट धार कुछ रापये-पैंसे थे, गाढ़ो से बाइर गिरा दिया | बाबू सादवं भरे ! घंग | कह फर उछल पढ़ें, गाद से बच्चा गिर गया | मारे एक मित्र नें तुरंत गाढ़ो खड़ी करने फी जज़ार खाया, गाढ़ो सदी दो गई । दम लाग उतरे, ता देखते कया दं कि एक श्रादमी, चलती जुई गाढ़ा से कूद, बेग डठा बेग से भागा जा रददा दै । दम लाग पीछे दौड़े थार लगभग ध्ाधे मील पर उसे पकड़ सकें । घंग मिल गया धार मामला स्पौ-त्यी ठंढा हुआ । गाड़ी फिर चल दी धर इम लोग सकुशल प्राव:काल ता८ १३ को 'दरिद्वार जा पहुँचे । गा यर्प की घ्पेदा इस साल दरिद्वार में बहुत कम मेत्ा हुभ्मा । मयंफर दुर्मिच श्रौर उससे उत्पन्न घाग दुख दा इस न्यूनता के कारण दा सकते हैं । यहाँ पर श्रनेक देव-मंदिर




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