पुराणों में पर्यावरण | Purano Men Paryavaran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
259
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about हरीशंकर त्रिपाठी - Harishankar Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पर्यावरण अनेक कारकों का. सम्मिश्रण है. , अर्थात
तापकम , प्रकाश , जल , मिट्टी इत्यादि । कोई वाइहय वल
, पदार्थ या स्थिति जो किसी भी प्रकार किसी प्राणी के जीवन
फी प्रभावित करती है उसे पर्यावरण का कारक माना जाता है
हमारा पर्यावरण , हमारे चारों ओर का समग्र वातावरण
है. जिसमें * जलन, दायु, पेड-पौधे , मिट्टी और प्रकृति फे अन्य
तत्व तथा जींव-जन्तु आदि शामिल है. । 6मारे चारों ओर फीा
वातावरण एव परिवेश जिसमे हम आप भौर अन्य जीवंधारी
रहते है. , सब सिलफर पर्यावरण का निर्माण कंरते है ।
पर्यावरण का तात्पर्य उस समूची भौतिक जैविक व्यवस्था से भी
है जिसमें समस्त जीवधारी रहते है , स्वभाविक विकास करते
है तथा. फलते- फूलते है. /. इस तरह वो अपनी स्वभाविक
प्रवृत्तियो का विकास कंरते है. । ऐसा पुराणों में दिए गए
उल्द्धरणो से भीं स्पष्ट होता है ।
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