पुराणों में पर्यावरण | Purano Men Paryavaran

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Purano Men Paryavaran by हरीशंकर त्रिपाठी - Harishankar Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पर्यावरण अनेक कारकों का. सम्मिश्रण है. , अर्थात तापकम , प्रकाश , जल , मिट्टी इत्यादि । कोई वाइहय वल , पदार्थ या स्थिति जो किसी भी प्रकार किसी प्राणी के जीवन फी प्रभावित करती है उसे पर्यावरण का कारक माना जाता है हमारा पर्यावरण , हमारे चारों ओर का समग्र वातावरण है. जिसमें * जलन, दायु, पेड-पौधे , मिट्टी और प्रकृति फे अन्य तत्व तथा जींव-जन्तु आदि शामिल है. । 6मारे चारों ओर फीा वातावरण एव परिवेश जिसमे हम आप भौर अन्य जीवंधारी रहते है. , सब सिलफर पर्यावरण का निर्माण कंरते है । पर्यावरण का तात्पर्य उस समूची भौतिक जैविक व्यवस्था से भी है जिसमें समस्त जीवधारी रहते है , स्वभाविक विकास करते है तथा. फलते- फूलते है. /. इस तरह वो अपनी स्वभाविक प्रवृत्तियो का विकास कंरते है. । ऐसा पुराणों में दिए गए उल्द्धरणो से भीं स्पष्ट होता है ।




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