अर्थशास्त्र की परिभाषा | Arth Shastra Ke paribhasha
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
825
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अरपयाह्यर को परिमापा दे
स्पवहार का अध्ययन होता है. जो हि 'सोमित साधनों के वितरण (20८०0
रा ध८्ाट्ट इ८5001005) से सम्बन्धित है 1 ही क
प्यात रहे सि 'आयिक ममस्या तब तर उतपनन नहीं हो मशतों ये तक कि
उपपुक्त सार दाने एश्साप मौजूद न हों । रोविन्स, पीडमेन, इत्यादि अथंगास्थो
'झाधिक समस्या' तया “टेवनोलोनीशल समस्या में अन्तर को म्पप्ट था 1
क्रीडमेन दे दाव्दो थे, “यदि साधन सीमित न हों तो कोई समस्या नहीं होगी,
ऐेमी स्थिति निर्वाण या मुं्ति दी होगी । यदि साधन सीमित हो आर नाथ
बेदल एस हो हो साधनों के प्रयाग की समस्या रन री होगी ।
(एफ घरमावपर्ण तरीफे में, 'चुदाव' बरने वे दिए दिसी ने हिसी प्रकार थी छून्यार
बन दिया (00८00 फ0८55) वा होना जरूरी है ।_प्राप्य साधनों (3१ वश
ए25०पाए्टइ) गा. मुल्याकन (श्यधिय1100) करना पढ़गा ताहि उनवा प्रयोग
अत्यन्त आवश्यर उदेग्यों वे लिए ही सीमित दिया जा सके । यढ़् मूर्यारिन शिया
(एएलएढ फ्रा०००५5) ही अयंगास्प की विपय-सामपों है ।' ्् ्ै
इस प्रकार एवं अर्पशास्थों साध्यों ने दीय चुनाय दि” अभिप्रायों (। फाए!।द21005 पी
दा0ा0४] का अध्ययत करता है । उसकल- विषय र्िनता (बाप) है. अर्यशास्त्र को
समस्या केवल 'फिफायत' (6८०00 छपड) को समस्या है ।** कन
सेस्नुलसत, फ्रोइवेन जैसे अनेग विस्यात आयुनिक अर्वशास्पी रोविन्स द्वारा स्पष्ट की
गयी 'आर्थिए समस्या” अर्यात् “चुनाव की समस्या” को ही मान्यता देते हैं ।
रोदिग्स को परिमापा की विशेयताएं (0ए29८/८750005)
प्रो० रोविर्स की परिभाषा ने अर्यशास्थर के विपय नो स्पप्ट कर दिया और इनती
परिमापा की सहायता से ज्ञांत के मग्डार मे से अर्वशास्म सम्वस्पी ज्ञान को पहचानना आसमान हो
जाता है । इनकी परिभाषा को निम्न युस्य विशेषताएँ हैं कक
(१) प्रो० रोविन्स ने अर्यशास्य दा क्षेर विस्तृत कर दिया क्योंकि दनवीं परिनाषा के
जनुसार, “मानव न्ययहार वे चुनाव करने थे पहलू' का अध्समन लयंशान्त का कोत्र है । इस प्रदार
रोबिन्स में 'सामाजिक स्पवहार' (5०2121 ०283श0णा) से श्वल' (धप3515) हटाकर “मानव
ब्यवहार' (प्रप्रधाउा ०2007) पर लगाया । (रे) रोदि्स को पर्रिभांदा विद्सेयणात्मण
(2पफधट8) है, थे थी बिमाजर (01255 पी03:07%) नहीं । रोविन्य ने नरयंदास्त को “आधि
बौर “अनाथिक' क्ियाभो तया “मोतिकवादी' आयार से मुक्त बर दियाँ । उन्होंने बताया कि नर्थ-
शास्त्र में मनुष्यों की फिशेप क्रियाओं का अव्यपत नहीं किया जाता है बन्ति प्रयर किया वे
“चुनाव करन के पहईूं का अप्यपन पिया जाता हू । (5६) फऐविन्स न जवशाम्म वो केवल बास्त-
विक विज्ञान (एन 85180) बताया, यर्थान् अवंग्यरथी उद्देययो के नच्द या ुरे होने से
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