निराश प्रणयी | Nirash Pranayi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)र्श
'उड़ाता; किन्तु उसने कभी 'थह सोचा भी न था कि उसे भीं
कानूनी हथकंड़े का शिकार होना पड़ेगा !
त्रयेकरोफ मुकदमा जीतने के बारे में सोचने से बिल्कुल
निश्चित था । शबाश्किन उसकी तरफ से काम कर रहा था । उसका
न्नाम लेकर, धमकाकर, जजों को घूस देकर, और हर संभव तरीके
से कानूनी छुक्कों की गलत व्याख्या करके वह झन्धेर गर्दी मचाये
था । तथापि ६ फ़रवरी सन् १५ 'को अदालत की ओर से दुल्रो-
“फरकी को इस आशय का एक आदेश-पत्र मिला कि वह अदालत
में हाजिर होकर अपने अर्थात् लेफ्टिनेंट दु्लोफस्की योर जनरल
'चयेकुरोफ के बीच जमीनदारी के लिए चुल रहे भकगड़े का फैसला
सुन जाय, 'झौर उस नि्सय-पर '्पनी सहमति या असहमति का
हस्ताक्षर कर जाय .
दुन्नोफस्की उसी दिन शहर को चल दिया । रास्ते में त्रयेकुरोफ़
-से उसकी मुलाकात भी हुई; दोनों ने एक-दूसरे पर अपनी गये
भरी दृष्टि भी डाली, और दुब्रोफसरकी ने अपने प्रतिद्वन्द्वी के 'वेहरे
पर ईर्ध्या सरी सुस्कुराइट को दौड़ते भी देखा।
नगर में पहुँचकर अंद्रे इ गब्रिलोंविच एक परिचित व्यापारी
के घर ठहरा । उसी के घर रात बिताई, और सबेरे जिला-अदालत
न्पहुँचा । किसी ने उसपर ध्यान न दिया उसके बाद फिरिलपेन्रविच
पहुँचा । डापनी-झपनी कलम श्रपने कानों पर रखके क्लकं लोग
उठ खड़े हुए । वकीलों का समुद्दाय बड़े अदब से सिला | उसके
हर पु
४ दो
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