पार्श्वनाथ पूजन संग्रह | Parshvanath Poojan Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
830 KB
कुल पष्ठ :
39
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीपाइ्वनाथ जिन पूजा ।
बख्ताबरसिंह कृत
गीताछन्द्
वर स्वगंप्राणतकों विहाय, सुमात बामा सुत भये ।
अश्वसेनक पारस जिनेश्वर, चरन जिनके सुर नये ॥। नव-
हाथ उन्नत तन विराजे, उरग लच्छन पद लें । था पं तुम्हे
जिन आय तिष्ठी, करम मेरे सब नसें ॥॥ १ ॥।
2 ड्टीं श्री पाशबनाथाजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर । संवौघट |
3 हीं श्रीपाश्बनाथजिनेद्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ । ठ: ठ: ।
३2 हल श्रीपश्बेनाथजिनेन्द्र अत्र मम सन्निहितो भव भव ।
बषट्
अथाशक-छन्द नाराच ।
क्षीरसोमके समान अंबुसार लाइये । हेमफात्र धारि के
सु झापकों चढाइये । पाश्वनाथदेव सेव श्रापकी करूँ सदा |
दीजिये निवास मोक्ष भूलिये नहीं कदा ।॥ १ ॥।
३ हीं श्रीपाश्वनाथजिनेन्द्र।य जन्म जरामृत्युविनाशनाय अल नि०
चन्दनादि केशरादि स्वच्छ गन्ध लीजिये । आप चने
चच मोहताप को हनीजिये । पाश्व॑ ० ॥।
32 हीं श्री पा्वनाथजिनेन्द्राय भवातापबिनाशनाय चंदर्ननिवेपामी ०
फेन चन्द के समान अक्षतान लाइकें, चने के समीप
सारपंज का रचाइकं ॥ पाश्चनाथदेव ० 1!
3: ही श्रीपाश्वनाथजिनेन्द्राय अच्तयपदप्राप्ताये अक्षतान् निवेपामी ०
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