दान का फल अथवा सती चन्दनवाला | Dan Ka Fal Athava Sati Chandanavala
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जड़ नाठक-पात्र ईंट.
[ ६ ] भगवान मदावीरखामी जिन धर्म के चौबीस तीर्थंकर ।
[२] महाराजा नन्दीवद्ध नजी भगवानमहावीरखामी के ज्येष्ठ
[३ ] राजा दघधिवादन
[४] राजा शतानीक
[ ५] सेनापति
[६ ] सेठ घधनवाह्
,[. *] सेड मूखवन्द
[ ८ ] मोपत्ला
[ ६] काला नानीप्रसाद
[? ०] कन्हेयालाल
[१९ बनवारीलाल
(रै२| इयामनाथ |
[१३] महाशय रननलाल
म्राता ।
एक दयालु और धर्मी राजा ।
कोशाम्बी नगरी का रांजा ओर
राजा द्धिवाहन का शत्रु ।
राजा शतानीक का सेवक और
कामी पुरुप ।
कोशास्दी नगरी का एक धनवान
भोर शानी पुरुष ।
६० वर्ष का 'घनवान छोमी और
कंजूस जो इस चृद्धावस्था में भी
विवाह का इच्छुक है ।
सेठ मूठचन्दका मसखरा नोकर ।
साधारण पुरुष और खुशीला का
पिता ।
ज्ञानीप्रसाद का पुत्र ओर अनमेल
चिवाह का प्रतपश्षी ।
कन्टैंयालाल के मित्र और अनमेल
घिचाह के प्रतपक्षी |
एक लोमभी, मुख ओर अज्ञानी पण्डित
मदन्त, श्रावक, मन्त्री, हारपाल, सिपाही, चोधघरी, बराती आदि ।'
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