दान का फल अथवा सती चन्दनवाला | Dan Ka Fal Athava Sati Chandanavala

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Dan Ka Fal Athava Sati Chandanavala  by शेरसिंह साहब जैन - Shersingh Sahab Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शेरसिंह साहब जैन - Shersingh Sahab Jain

Add Infomation AboutShersingh Sahab Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जड़ नाठक-पात्र ईंट. [ ६ ] भगवान मदावीरखामी जिन धर्म के चौबीस तीर्थंकर । [२] महाराजा नन्दीवद्ध नजी भगवानमहावीरखामी के ज्येष्ठ [३ ] राजा दघधिवादन [४] राजा शतानीक [ ५] सेनापति [६ ] सेठ घधनवाह् ,[. *] सेड मूखवन्द [ ८ ] मोपत्ला [ ६] काला नानीप्रसाद [? ०] कन्हेयालाल [१९ बनवारीलाल (रै२| इयामनाथ | [१३] महाशय रननलाल म्राता । एक दयालु और धर्मी राजा । कोशाम्बी नगरी का रांजा ओर राजा द्धिवाहन का शत्रु । राजा शतानीक का सेवक और कामी पुरुप । कोशास्दी नगरी का एक धनवान भोर शानी पुरुष । ६० वर्ष का 'घनवान छोमी और कंजूस जो इस चृद्धावस्था में भी विवाह का इच्छुक है । सेठ मूठचन्दका मसखरा नोकर । साधारण पुरुष और खुशीला का पिता । ज्ञानीप्रसाद का पुत्र ओर अनमेल चिवाह का प्रतपश्षी । कन्टैंयालाल के मित्र और अनमेल घिचाह के प्रतपक्षी | एक लोमभी, मुख ओर अज्ञानी पण्डित मदन्त, श्रावक, मन्त्री, हारपाल, सिपाही, चोधघरी, बराती आदि ।'




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now