भगवआन पाशर्वनाथ (उत्तरार्ध) | Bhagwan Pasharvanath (uttarardha)

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Book Image : भगवआन  पाशर्वनाथ (उत्तरार्ध) - Bhagwan Pasharvanath (uttarardha)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[९] जर्थाव-“'हमें यह दोनों वाहें वाद रखना नरूरी हैं कि सच- मुच जनधम मद्दावीरनीसे प्राचीन है । इनके सुप्रस्यात पूर्वागामी श्री पाष्चे अवचय ही एक वास्तविक पुरुपके रूपमें विद्यमान रहे थे | और डसीडिये जैन सिद्धान्तकी मुख्य वातें महावीरनीके बहुत पहले ही निर्णीत होगई थी | हाल्ट्ीमे बरदिन विश्वविद्यालवके सुप्रसिद्ध विद्वान प्रो ० डी ० हेल्मुथ वन ग्लासेनेप्प पी० एच० डी०ने भी जेन मान्यताको विश्वप्तनीय स्वीकार करके भगवान्‌ पाव्वनाथनीकी ऐतिहासिकता सारपूर्ण बनलाई है। '/गत वेस्यली प्रदर्शनीके समय एक धमेसम्मे ठन हुआ था, उसके विवरणमें जनघमंक्री पाचीनताके चिषयमें लिखते हुये सर पेट्रकि फेगन के० सी ० आई ० ई०, सी ० एस ० आई०ने मी यही प्रकट किया है कि “ नेन तीरथकरोमेंसे अतिम दो-पाथ्वेनाथ और महावीर, निरसंदेह वास्तविक व्यक्ति थे, क्योकि उनका उछेख ऐसे सादित्य अन्थोमें है जो ऐतिहासिक हैं । ”* यही वात मि० ई० पी० राइस सा ० स्वीकार करते हैं । (71० पाक 06 16ठुआए866 85 1056011081) श्रीमती सिन्कलेपर रटी- चेन्सन भी पाठ्वेनाधथनीकों ऐतिहासिक पुरुष मानतीं है ।” फासके प्रति सस्कतन बिन टा० गिरनोट तो रपट रीतिसे उनको ऐतिहासिक पुरुष घोषित करते है । (“1676 ८8० 00 100267 6 8 ऐ0056 ही)8 पहि01 308. फ़ा85 ]18607106 एा80पब86'' हक इपी प्रकार अग्रेनी के महत्वपूर्ण कोष-ग्रथ “इसाइ- १--उर वनिसमस प्र० १९-२९ । २-रिलीजन्स ऑफ दी इम्पायर पुन २०३ । ३-कनारीज लिटेरेचर प्र० २० । ४-दाटि ऑफ जैनीजम सुन ४८ । धनोोंसे ऑन दी मन बाव्लोग्रेफी ।




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