भगवआन पाशर्वनाथ (उत्तरार्ध) | Bhagwan Pasharvanath (uttarardha)
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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जर्थाव-“'हमें यह दोनों वाहें वाद रखना नरूरी हैं कि सच-
मुच जनधम मद्दावीरनीसे प्राचीन है । इनके सुप्रस्यात पूर्वागामी
श्री पाष्चे अवचय ही एक वास्तविक पुरुपके रूपमें विद्यमान रहे
थे | और डसीडिये जैन सिद्धान्तकी मुख्य वातें महावीरनीके बहुत
पहले ही निर्णीत होगई थी |
हाल्ट्ीमे बरदिन विश्वविद्यालवके सुप्रसिद्ध विद्वान प्रो ० डी ०
हेल्मुथ वन ग्लासेनेप्प पी० एच० डी०ने भी जेन मान्यताको
विश्वप्तनीय स्वीकार करके भगवान् पाव्वनाथनीकी ऐतिहासिकता
सारपूर्ण बनलाई है। '/गत वेस्यली प्रदर्शनीके समय एक धमेसम्मे
ठन हुआ था, उसके विवरणमें जनघमंक्री पाचीनताके चिषयमें
लिखते हुये सर पेट्रकि फेगन के० सी ० आई ० ई०, सी ० एस ०
आई०ने मी यही प्रकट किया है कि “ नेन तीरथकरोमेंसे अतिम
दो-पाथ्वेनाथ और महावीर, निरसंदेह वास्तविक व्यक्ति थे, क्योकि
उनका उछेख ऐसे सादित्य अन्थोमें है जो ऐतिहासिक हैं । ”*
यही वात मि० ई० पी० राइस सा ० स्वीकार करते हैं । (71०
पाक 06 16ठुआए866 85 1056011081) श्रीमती सिन्कलेपर रटी-
चेन्सन भी पाठ्वेनाधथनीकों ऐतिहासिक पुरुष मानतीं है ।” फासके
प्रति सस्कतन बिन टा० गिरनोट तो रपट रीतिसे उनको
ऐतिहासिक पुरुष घोषित करते है । (“1676 ८8० 00 100267
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एा80पब86'' हक इपी प्रकार अग्रेनी के महत्वपूर्ण कोष-ग्रथ “इसाइ-
१--उर वनिसमस प्र० १९-२९ । २-रिलीजन्स ऑफ दी इम्पायर
पुन २०३ । ३-कनारीज लिटेरेचर प्र० २० । ४-दाटि ऑफ जैनीजम
सुन ४८ । धनोोंसे ऑन दी मन बाव्लोग्रेफी ।
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