जायसी और उनका पद्मावत | Jayasi Or Unaka Pdmavat

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Jayasi Or Unaka Pdmavat by राज कुमार शर्मा - Raj Kumar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्८ जायसी पद्मावत लिखा है कि नवीं सद से ग्रह भ्र्य लेना कि ठीक €०० हिजरी (१४९४) में जायसी का जन्म हुप्रा था, कवि के जीवन की म्रत्य तिथियों से यह संगत नहीं ठहरता है ।”' हा ७. डॉ- गोविन्द श्रिगुणायत श्रौर शी रामपुजन तिवारी जायसी के जन्म के विपय में एकमत हैं । डॉ० विगुणायत ने लिखा है कि जायसी का जन्मकाल ८७० हिजरी के श्रास-पास हुमा था । यही वात उनकी “भा श्रवतार मोरनो सदी । तोस बरस ऊपर कवि बदी ।” से भी ध्यनित होती है । इन पक्तियों का सीधा साधा प्रथ यही है कि उनका जस्म 8०० हिंजरी बतलाया जाय तो उसमें ३० वर्प श्रधिक समकना चाहिए । रामपूजन तिवारी ने इस ध्र्य को श्रौर झ्घिक प्रामाणिक बनाते हुए श्रपने कुछ तर्क दिये हैं । वस्तुतः वे मी इमी मत के समर्थक हैं । श्री तिवारी जी कहते हैं-कवि मे श्रपने जन्म के ब्रप का संकेत किया है । कवि यह कहना चाहता है कि मेरा जन्म €०० ट्िजरी में हुप्रा लेकिन मैंने इसे तीस वर्ष बढ़ाकर कहा है ,शभ्र्थात्‌ €०० ड्िजरी से तीस वर्ष पहले उसका जन्म हुमा । बहुत से विद्वानों ने वदी का श्रम काव्य फरना माना है लेकिन यहां बदी का श्रर्थ काव्य करना नहीं बल्कि वाहना है । रामचरित मानस में भी बद का प्रयोग कहने के भ्रथे में किया गया है । उत्तरकाण्ड में कहा गया है-- ध्रति दुलंभ कंवल्प परमपद । संत पुरान निगम श्रागम वद ॥ लंकाकाण्ड में मी निम्नलिखित चौपाई में वद का प्रयोग इसी श्र में किया बयां है-- तुम्हारे कटक माक सुन झंगद । मोसम भिरहिं कवन जोघा बद ॥। डॉ० श्रिगुणायत ने इस ८७० हिजरी को जायसी का जन्मकाल मानते हुए निम्नलिखित तर्क दिये हैं-- १, उनका यह समय कब्नीर के समय से बहुत दूर नहीं पड़ता है । साथ ही वह कवीर के समकालीन सिद्ध नहीं होते हैं । २. जायसी ने पदमावत की रचना ६४७ में की थी । उपयुक्त जन्म तिथि के श्रनुसार उनकी यह रचना लगमग ७७ वर्ष की ंयु में सम्पन्न हुई थी । काव्यत्व भ्रौर श्राध्यात्मिक विचारधारा को देखते हुए यह स्वीकार करने में कोई संक्रोच नहीं होता है कि ऐसी प्रोढ़ रचना प्रौढ़ावस्था की ही कृति या. सर्जना हो सकती है । ३, श्राखिरी कलाम की रचना श्रववि £३६ हिंजरी श्र्यात १५२१ ई० ही है । उस समय कवि की श्रवस्था ६७ वर्ष की रही होगी। रचना की श्राध्यात्मिक विचारघारा 'को देखते हुए इतनी प्रवस्था में उसका रचा जाना बहुत उचित भी प्रतीत होता है । इस प्रकर्र हम कह सकते हैं कि जायसी का जन्म लगमग ८७० हिंगरी में हुम्रा 1 वास्तव में जायसी को जन्म तिथि ८३० ह्िजरी मानना सभी कठि- नाइयों से मुक्त है । इससे कोई मी मप्राप्ंगिकता सामने नहीं श्राती है वरन इसमें मार्ग की अन्य वाधायें मी दूर हो जाती हैं ।




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