जायसी और उनका पद्मावत | Jayasi Or Unaka Pdmavat
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
574
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्८ जायसी पद्मावत
लिखा है कि नवीं सद से ग्रह भ्र्य लेना कि ठीक €०० हिजरी (१४९४) में
जायसी का जन्म हुप्रा था, कवि के जीवन की म्रत्य तिथियों से यह संगत
नहीं ठहरता है ।”' हा
७. डॉ- गोविन्द श्रिगुणायत श्रौर शी रामपुजन तिवारी जायसी के
जन्म के विपय में एकमत हैं । डॉ० विगुणायत ने लिखा है कि जायसी का
जन्मकाल ८७० हिजरी के श्रास-पास हुमा था । यही वात उनकी “भा श्रवतार
मोरनो सदी । तोस बरस ऊपर कवि बदी ।” से भी ध्यनित होती है । इन
पक्तियों का सीधा साधा प्रथ यही है कि उनका जस्म 8०० हिंजरी बतलाया
जाय तो उसमें ३० वर्प श्रधिक समकना चाहिए । रामपूजन तिवारी ने इस
ध्र्य को श्रौर झ्घिक प्रामाणिक बनाते हुए श्रपने कुछ तर्क दिये हैं । वस्तुतः
वे मी इमी मत के समर्थक हैं । श्री तिवारी जी कहते हैं-कवि मे श्रपने जन्म
के ब्रप का संकेत किया है । कवि यह कहना चाहता है कि मेरा जन्म €००
ट्िजरी में हुप्रा लेकिन मैंने इसे तीस वर्ष बढ़ाकर कहा है ,शभ्र्थात् €००
ड्िजरी से तीस वर्ष पहले उसका जन्म हुमा । बहुत से विद्वानों ने वदी का
श्रम काव्य फरना माना है लेकिन यहां बदी का श्रर्थ काव्य करना नहीं बल्कि
वाहना है । रामचरित मानस में भी बद का प्रयोग कहने के भ्रथे में किया गया
है । उत्तरकाण्ड में कहा गया है--
ध्रति दुलंभ कंवल्प परमपद । संत पुरान निगम श्रागम वद ॥
लंकाकाण्ड में मी निम्नलिखित चौपाई में वद का प्रयोग इसी श्र में
किया बयां है--
तुम्हारे कटक माक सुन झंगद ।
मोसम भिरहिं कवन जोघा बद ॥।
डॉ० श्रिगुणायत ने इस ८७० हिजरी को जायसी का जन्मकाल मानते
हुए निम्नलिखित तर्क दिये हैं--
१, उनका यह समय कब्नीर के समय से बहुत दूर नहीं पड़ता है ।
साथ ही वह कवीर के समकालीन सिद्ध नहीं होते हैं ।
२. जायसी ने पदमावत की रचना ६४७ में की थी । उपयुक्त जन्म
तिथि के श्रनुसार उनकी यह रचना लगमग ७७ वर्ष की ंयु में
सम्पन्न हुई थी । काव्यत्व भ्रौर श्राध्यात्मिक विचारधारा को देखते
हुए यह स्वीकार करने में कोई संक्रोच नहीं होता है कि ऐसी प्रोढ़
रचना प्रौढ़ावस्था की ही कृति या. सर्जना हो सकती है ।
३, श्राखिरी कलाम की रचना श्रववि £३६ हिंजरी श्र्यात १५२१
ई० ही है । उस समय कवि की श्रवस्था ६७ वर्ष की रही होगी।
रचना की श्राध्यात्मिक विचारघारा 'को देखते हुए इतनी प्रवस्था
में उसका रचा जाना बहुत उचित भी प्रतीत होता है । इस प्रकर्र
हम कह सकते हैं कि जायसी का जन्म लगमग ८७० हिंगरी में
हुम्रा 1
वास्तव में जायसी को जन्म तिथि ८३० ह्िजरी मानना सभी कठि-
नाइयों से मुक्त है । इससे कोई मी मप्राप्ंगिकता सामने नहीं श्राती है वरन
इसमें मार्ग की अन्य वाधायें मी दूर हो जाती हैं ।
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