दिव्य - ज्योति | Divya - Jyoti
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ऋषिराज महाराज - Rishiraj Maharaj
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काशीराम चावला - Kashiram Chawala
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ४. ]
पूजनीय श्री ऋषिराज जी महाराज का जीवन चहदती हुई
गंगा के तुल्य स्वच्छ और निर्मल था । जिससें जिज्ञासुवर्ग ने
अपनी ज्ञान पिपासा को शान्त किया और इस ज्ञान गंगा में
गोता लगाकर अपने हृदय के कालुष्य को धो डाला । यह
ज्ञान गंगा जिस-जिस प्रदेश में होकर निकली, वदद-वह्द प्रदेश
अअर्िसा, सत्य और प्रेम के धन-धान्य से सम्रद्ध वन गया ।
सत्पुरुषों के जीवन चरित्र से जनता को अरकाश सिलता है;
जीवनोपयोगी शिक्षण सिलता है; जीवन संत्राम में जूभने के
लिए वल और उत्साह भी सिलता है। जो मनुष्य अपने जीवन
को पवित्र, प्रगतिशील तथा वहुजन भोग्य बनाना चाहता है. ।
उसे चाहिए कि वद्द महापुरुषों के जीवन चरित्रों का गहरी
चृष्टि से अध्ययन; मनन और चिन्तन करता हुआ उन सद्दा-
हा के गुणों को अपने जीवन में उतारने का अयत्न करता
दर समा
“जीवन चरित्र महापुरुषों के;
हमें शिक्षणा देते हैं ।
हम भी अपना-अझपना जीवन;
स्वच्छ रस्य कर सकते हूँ ।”
जो सज्जन इस दिव्य ज्योति का मन लगाकर अध्ययन,
मनन तथा चिन्तन करेगे; उनका जीवन अवश्यमेव दिव्य
बनेगा । इसमें जरा भी सन्देह नद्दीं है ।
उपाध्याय अमरमुनि”
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