महादेवी वर्मा और पथ के साथी | Mahadevi Varma Aur Path Ke Sathi

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Mahadevi Varma Aur Path Ke Sathi  by कमलेश अरोड़ा - Kamalesh aroda

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_महादेवी वर्मा भौर पथ के साथी य्ं कहानी में गतिशीलता अधिक होती है जब कि रेखाचित्नों में स्थिरता रहती है । श्री तिवारी जी के मत से “कहानी गयात्मक होती है रेखाचित्र स्थिर ।” इसके झतिरिक्त “कहानी में रेखाचित्र से एक पहलू अधिक होता है । यदि रेखासित्र में एक पहलू होता है तो कहानी में दो, अगर रेखाचित्र में दो मानिए तो कहानी में तीन । श्र्थात्‌ यदि रेखाचित्र में सिर्फ लम्बाई ही है तो कहानी में लम्बाई के भ्रतिरिक्त चौड़ाई भी होती है श्रौर श्रगर रेखाचित्र में लम्बाई तथा चौड़ाई है तो कहानी में मोटाई तथा गोलाई भी माननी पड़ेभी । 2६ 2६ 2६ 2६ रेखाचित्र श्रपनी स्थिरता में कुछ गतिहीन हो जाता है, वह दोष से कट कर झपने झाप में कुछ स्वतन्त्र हो जाता है, इसलिए उसमें रस भर तीब्रता की कमी होती है । वह कुछ सैक्यूलर होता है ।” --जेनेन्द्-- रेखाचित्रों की भ्रपेक्षा कहानी में सामाजिकता श्रधिक रहती है । रेखाचित्रों में जहाँ एक व्यक्ति की तस्वीर सामने श्राती है, वहाँ कहानी व्यक्ति को समाज के संसगं में अंकित करती है । डा० नगेन्द्र कहानी भ्ौर रेखाचित्र शरीरगत श्रस्तर ही मानते हैं प्राणागत नहीं, “सामान्यतः: कहानी श्रौर रेखाचित्र एक दूसरे के इतने निकट है कि दोनों में भ्रन्तर धरीर गत है प्राणगत नहीं ।” रेखाचित्र तथा निबन्ध कुछ विद्वानों ने रेखाचित्र को निबन्घ के ही श्रन्तर्गत स्वीकार किया है । स्थूल दृष्टि से अवलोकन करने पर इन दोनों विधाश्ों में भी समानता दृष्टिगत होती है । लेखक के व्यक्तित्व की छाप एक सफल निबन्ध की मुख्य विशेषता है श्ौर रेखाचित्र में भी ऐसा होता है, भरत: दोनों में कोई भ्रन्तर दृष्टिगत नहीं होता परन्तु दोनों के श्रभिव्यक्त करने का ढड्ध श्रलग है । श्रपनी झनुभूतियों को निबन्धकार वर्णन शैली से अभिव्यक्त करता है, परन्तु रेखाचिन्न-कार को यह स्वतन्त्रता नहीं है ।




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