श्रावक - स्वरूप | Shravak Swarup

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Shravak Swarup  by जयसेन महाराज - Jaysen Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सार अद अर जद बच उचा जा जद उ उस जहा सादा ; छब्दधाद जद सादमाद:संथ: दम के घर, बेल, कपड़ा, अनाज आदि जिन्दगी के साधनों है को झुर्की नीलामी ब्रारि से छोनने का उद्योग न है करें। हमारी जबरदस्ती या अनीति से यदि | ) कोई गरीब भूखा मरा तो हमारा भी भला नहीं हो सकता | प ) ५-झपने व्यापार से छोटी पूच्जी वाले छोटे व्यापारि- यों का गला न घुटे, हमारे एक की कमाई से अन्य है गरीबों का सत्यानाश न हो ऐसा ख्याल रखना ) न चाहिये । इस प्रकार अर्थ पुरुषार्थ पालन करके घन उपार्जन # करें। और उप्र कमाई में से कुछ से अपना व्यापार करें; 1 कुछ से परिवार का पालन पोषण करें, तथा कुछ द्रव्य है झापत्ति समय के लिये जमा रक्‍खें और ऊुड अंश 8 घर्मायतनों में, दीन द्दीन की रक्षा, उपकार, सेोत्रा में / दान करें । |... तीसरा पुरुषार्थ 'काम' है जिसका अर्थ सुयोग्य | सन्तान उत्पन्न करना है। इसके लिये सुपोग्य वर है




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