परख - सिरजण | Parakh Sirajan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कायम करे री है । गुजराती अर राजस्थानी दोनू मापावा सौठह॒वी शर्ती ताई
नेक ही हो । पण उणर पढें गुजराती हो आपरो स्वतन भाषा रूप विकसित कर
लियो पण राजस्थानी (जिया पहुगी स्पष्ट कियो गयो है) या तो डिंगछ रे चनावटी
रूप ने जाने वदपयी या देखी रूप ने, जिवी घीरें धीरें वोली रोरूप धारण कर
लिंयो । आज गुज राती नें हिन्दी री बोली मान कंवण री हिम्मत कोई कोनी कर सकें
दण्ण राजस्थानी न बेवल भाषा ही को मानीर्ज सी घटक इण ने च्यारू फेर हिंदी री
लेक बोली रे रुप मे ही समभी जादे है। राजस्थानी री आ समस्या सँंगाऊ टेढी
सब सू भीषण भर उण रे. अस्तित्व मा हीन सवाठ खेडो करण भाठ़ी घोरतर
समस्या है।
समस्यावां रो निराकरण--जे सभठी समस्या सू पार पावण सारू राजस्थानी
री दिशा तो वदढणी पड़सी ही (जिंग सू के आा आज री सामाजिकता अर युगघारा
सू जुड़ सबसो) , इण रं विस्तार रा घणा-सारा उपाय भी बरणा पड़सी । भाषा रो
विनास अेक-दों वर्षा में कौनी हुया व रैं, ना अन दो विद्वाना-पड़िता री चेप्टावा सू
हो उण मे गति उत्पन्न हु । मे बाला जिती साची है उत्ती ही सा बात भी साथी है
के किणी भी भाषा री समस्यावा बेहूडी कोनी हुबे थे मणसुछभायाडी ही रय जाने
या समस्यादा रे बारण भाषा रो विकास हीज इक जादें ।
मापा तो बंवते पाणी रो धारा है। अगर उग में गति है तो किती वाधावा
सामने बयू नहीं भाजाद॑ दा हो आापरों रास्तों पाय ही रवेली। समस्पावा उण
मागे मे रोहा भरे हो नाख दे, उणने रोबण मे जद चण'र पूरी तरथा-सू समर्थ कौनी
हुए सर्व 1
राजस्थानी भाषा री गति पूरे बेन हजार वरसा सू बायम है ! इणरी यात्रा मे
सु भाषावों रे जपू हीज भोगदा उतार-चढाव आया है। आज उण री गति मे हेंजी
देवण री जरूरत है । चेप्टा बरधा सू राजस्थानी रो वाछित विकास भी सबब है;
आ झंव निइर्ड दात है। राजस्थानी री इण दशा साहू अपेक्षित चेध्टावा में सैंगाऊ
जरूरी इण रें दाव्द भडार रो घिस्तार है। हर भाषा री तावत यर गविशीलता रो
आधार उग रो शब्द मदार हुपा व रे । भाषा री रुमूद्धि री पिछाण दाय्दा ई तादाद
मू हीज रुप हुबें हैं । रानस्यानी हैं झब्द मडार वीरता, तेज, रॉन, भक्ति जेहडा भाव
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बदावशों पढसी । जोवण रं हर शेमर रो, ही ््ं हि व कम गगात
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व्य्द री दिशा री, युद्धि री हर तरह री रगठ री अभिव्यक्ति व रण आठी दब्दावदी
में राजस्थानी मे पनपादण दी उरूरत है 1
राजस्यानों भाषा, सम यावा सर उणा रो निशावा घर 17
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