प्राचीन जैन इतिहास [भाग २] | Prachin Jain Itihas [Bhag २]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आर्चीन जैन इतिहास! १०
मार्चीन जिन इृति:
४३ गणधघर
€,०० पूर्व ज्ञानघारी
४०७०० शिक्षक मुनि
३६०० अवधिज्ञानघारी
४५०० केवली
७००० विनियारिद्कि घारी
७००० मन पर्यय ज्ञानी
२८०० बादी सुनि.
ई ४०० सुदृता जादि आधिका
१८००००० श्राविक
. ४००००० श्राविका
(११) आयुमें एक माप्त चाकी रहने तक आपने आवेख़डमें
विद्यार किया । फिर सम्मद शिखरपर पथारे । शेप एक माहमें बचें
हुए चार कमोका नाश कर मिती ज्येष्ठ सुदी चोथके दिन साठसो
नो मुनियों सहित मोक्ष पघारे | इन्दादि देवोंने निर्वाण
कल्याणकका उत्सव मनाया ।
पाठ ६.
घ्रतिनारायण-मघुकीड-नारायण पुरूपरसिंह,
यलदेव-सुद्र्चान 1
( पांचवें प्रति नारायण, नारायण भर बडमद्र 9
(२) भगवान धर्मनाधंके समयें प्रतिनारायण मधु केटभ-
नारायण पुरुप॑रतिंदद और बर्लदेव सुदर्शन हुए थे 1
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