प्राचीन जैन इतिहास [भाग २] | Prachin Jain Itihas [Bhag २]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आर्चीन जैन इतिहास! १० मार्चीन जिन इृति: ४३ गणधघर €,०० पूर्व ज्ञानघारी ४०७०० शिक्षक मुनि ३६०० अवधिज्ञानघारी ४५०० केवली ७००० विनियारिद्कि घारी ७००० मन पर्यय ज्ञानी २८०० बादी सुनि. ई ४०० सुदृता जादि आधिका १८००००० श्राविक . ४००००० श्राविका (११) आयुमें एक माप्त चाकी रहने तक आपने आवेख़डमें विद्यार किया । फिर सम्मद शिखरपर पथारे । शेप एक माहमें बचें हुए चार कमोका नाश कर मिती ज्येष्ठ सुदी चोथके दिन साठसो नो मुनियों सहित मोक्ष पघारे | इन्दादि देवोंने निर्वाण कल्याणकका उत्सव मनाया । पाठ ६. घ्रतिनारायण-मघुकीड-नारायण पुरूपरसिंह, यलदेव-सुद्र्चान 1 ( पांचवें प्रति नारायण, नारायण भर बडमद्र 9 (२) भगवान धर्मनाधंके समयें प्रतिनारायण मधु केटभ- नारायण पुरुप॑रतिंदद और बर्लदेव सुदर्शन हुए थे 1




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