उत्तराखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी | Uttaraakhand Ke Pranukh Swatantrataa Senaanii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
49 MB
कुल पष्ठ :
157
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
अरुण मित्तल - Arun Mittal
No Information available about अरुण मित्तल - Arun Mittal
धर्मपाल सिंह मनराल - Dharmpal Singh Manral
No Information available about धर्मपाल सिंह मनराल - Dharmpal Singh Manral
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२... उत्तराखण्ड के प्रमुख स्वतन्त्रता-सेनानी
कारण यहाँ स्वतन्त्रता का प्रथम सग्राम असफल रहा। सन् १८५७ के विद्रोह
का उत्तराखण्ड पर एक प्रभाव पड़ा कि जो अंग्रेज स्विट्ज रलैण्ड की भाँति स्वतन्त्र
व्यवसाय के आधार पर यहाँ बस गये थे, उन्हें अपनी सुरक्षा का भय उत्पन्न हो
गया था | रे 4५:
सन् १८५७ के बिद्रोह के पश्चात् काफी लस्बी अवधि तक उत्तराखण्ड में
कोई राजनतिक घटना नहीं घटी । इस अवधि में अल्मोड़ा, नैनीताल और
रानीखेत अंग्रेजों के ग्रीष्म-निवास के रूप में विकसित होने लगें । सन् १८७०
में अल्मोड़ा में “डिबेटिंग क्लब' की स्थापना की गई । संयुक्त प्रान्त के लाट साहब
ने 'डिबेटिंग क्लब के उद्देश्यों से प्रसत्त होकर उसके कार्यकर्ताओं से क्लब के
कार्यों का विवरण प्रकाशित करवाने के लिए एक प्रेस खोलने की सला हुदी।
अतः सन् १८७१ में प्रेस की स्थापना कर “अल्मोड़ा अखबार' का प्रकाशन प्रारम्भ
हुआ। यह संयुक्त प्रात का सर्वप्रथम हिन्दी साप्ताहिक है। प्रारम्भ में यह
पत्र बुद्धिबल्लभ पन््त के सम्पादकत्व में निकला और फिर मुंशी सदानन्द सनवाल
सन् १९१३ तक इसके सम्पादक रहे। 'अल्मोड़ा अखबार' सन् १९१३ तक स्थानीय
बल्लभ पन्त की अध्यक्षता में इलवटें बिल के समर्थन में एक सभा हुई ।
देहरादून में राजनेतिक चेतना जागृत करने का प्रमुख श्रेय आर्यसमाज को
है। सन् १८९७ में दयानन्द सरस्वती ने हरिद्वार में कुम्भ के मेले के अवसर पर
पाखण्ड-खण्डनी पताका फहराई । देहरा्ट्रन के तत्कालीन प्रमुख व्यक्ति मह्त
नारायणदास, दरोगालालसिह आदि हरिद्वार गये और वहाँ स्वामी जी के
सारगभित भाषणों को सुनकर प्रभावित हुए । उस समय देहरादून में कुछ
हिन्दू भद्र पुरुष अपना धर्मं-परिवतन कर रहे थे । उन्हें धर्म-परिवर्तन से बचाने
के लिए स्वामी जी को बैलगाड़ी में बैठाकर देहरादून लाया गया । स्वामी जी के
प्रभाव से वे लोग धर्मं-परिवतन से बच गये ।
सन् १४०३ में अल्मोड़ा में गोविन्दबल्लभ॑ पन््त तथा हरंगोविन्द पन््त के
प्रयत्नों से 'हैप्पी क्लब' की स्थापना हुई । इस क्लब का मुख्य उद्देश्य नवयुवकों में
....... राष्ट्रीय चेतना का ' संचार करना था ।. इसकी सदस्य संख्या सीमिंत रखी गई
........ और इसकी अधिकांश बेठकें शहर से बाहर किसी एकान्त स्थान पर होती थीं ।
...... सन् १९६०५ में बंगाल के विभाजन के विरोध में अल्मोड़ा के नवयूवकों ने
जनता कौ संगठित कर सभाएँ आयोजित कीं और जनसाधारण को ब्रिटिश
त्याचारों से अवगत कराया । ' धीरे-धीरे उत्तराखण्ड का राजनैतिक
सामाजिक समाचारों का पत्र रहा । सर्वेप्रथम सन् १८८३ में अल्मोड़ा में बुद्धि .
User Reviews
No Reviews | Add Yours...