प्रेम में भगवान (१९४९) ४४४६ | Prem Me Bhagvaan (1949) Ac 4446
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रेममें भगवान पु
बोली--''मेरे आदमीकी सिपाहीकी नौकरी थी । फिर कोई आठ महोने
हुए जाने उन्हे कहा भेजा गया । तबसे कुछ खबर उनकी नहीं मिली । उसके
बाद मेने रोटो पकानेकी नौकरी कर ली । रोटो बनाती थी । लेकिन यह बालक
होनेको हुआ तो मुझे उन्होने कामसे हटा दिया । तीन महोनेसे में भटक रही
हूँ कि कोई नौकरी मिल जाय । जो पास था, पेटके खातिर सब बेच चुकी । अब
कौडो नहीं रह गई है । सोचा, में धाय बन जऊँ। लेकिन कोई मुझे रखनेको
राजी नही हुआ । कहते थे कि मे बहुत दुबली और दुखिया दीखती हूँ, सो दूध
क्या उतरेगा । में यहा एक लालाइनकी बातपर आई थी । वहा हमारे गावकी
एक नौकरनी है । उन्होंने मूझे रखनेको कहा था । मे समझती थी कि सब ठोक-
ठाक है । पर वहा गई तो कहा कि अगले हफ्तेत्क हमें फ्संत नही है, फिर आना ।
वह दूर जगह थी, और आते-जाते मेरा दम हार गया है । बच्चा बिचारा भूखा
है, देखो कैसी आखे हो गई हे । भाग्यकी बात है कि वह तो मकानकी मालकिन
दयालु हे, भाडा नहीं लेती । नहीं तो, मेरा ठौर-ठिकाना न था।”
मार्टिवने सुनकर सास भरी । पूछा--“कोई गमं॑ कपडे पास नहीं है ?””
बोलो--“गर्म कपडा कहासे हो । अभो कल ही छ आनेमे अपना चदरा
गिरवी रख चुकी हूँ ।”
इतना कहकर स्त्री बढ़ी और बच्चेकों गोदमे ले लिया । मार्टिन खड़ा हो
गया और अपने कपडोमें खोज-छान करने लगा । आखिर एक बडा गम चोगा
उसने निकाला और कहा--''यह लो । चीज तो फटी-पुरानी है, पर चलो बच्चेके
कछ काम तो आ हो जायगी।''
स्त्रीने उस चोंगेको देखा । फिर उस दयाबान बुढ़की तरफ आख उठाई
फिर चोगेंको हाथमे लेते-ढेते वह रो पडी ।
मादिन ने मुडकर खाटक नीचे झुककर वहासे एक छोटा-सा बक्स निकाला ।
उसमे इधर उबर कुछ खोजा और फिर नोचे सरकाकर बैठ गया ।
स्त्री बोली--“भगवान तुम्हारा भला करे, बाबा। सचमुच ईदवरने ही
मुझे इधर भेज दिया । नही तो बच्चा ठिदुरकर मर चुका होता। में चली
तब सर्दी इतनी नहीं थी । अब तो कैसी गजबकी ठडी बयार चल रही है। जरूर
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