प्रेम में भगवान (१९४९) ४४४६ | Prem Me Bhagvaan (1949) Ac 4446

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Prem Me Bhagvaan (1949) Ac 4446 by जैनेन्द्र कुमार - Jainendra Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रेममें भगवान पु बोली--''मेरे आदमीकी सिपाहीकी नौकरी थी । फिर कोई आठ महोने हुए जाने उन्हे कहा भेजा गया । तबसे कुछ खबर उनकी नहीं मिली । उसके बाद मेने रोटो पकानेकी नौकरी कर ली । रोटो बनाती थी । लेकिन यह बालक होनेको हुआ तो मुझे उन्होने कामसे हटा दिया । तीन महोनेसे में भटक रही हूँ कि कोई नौकरी मिल जाय । जो पास था, पेटके खातिर सब बेच चुकी । अब कौडो नहीं रह गई है । सोचा, में धाय बन जऊँ। लेकिन कोई मुझे रखनेको राजी नही हुआ । कहते थे कि मे बहुत दुबली और दुखिया दीखती हूँ, सो दूध क्या उतरेगा । में यहा एक लालाइनकी बातपर आई थी । वहा हमारे गावकी एक नौकरनी है । उन्होंने मूझे रखनेको कहा था । मे समझती थी कि सब ठोक- ठाक है । पर वहा गई तो कहा कि अगले हफ्तेत्क हमें फ्संत नही है, फिर आना । वह दूर जगह थी, और आते-जाते मेरा दम हार गया है । बच्चा बिचारा भूखा है, देखो कैसी आखे हो गई हे । भाग्यकी बात है कि वह तो मकानकी मालकिन दयालु हे, भाडा नहीं लेती । नहीं तो, मेरा ठौर-ठिकाना न था।” मार्टिवने सुनकर सास भरी । पूछा--“कोई गमं॑ कपडे पास नहीं है ?”” बोलो--“गर्म कपडा कहासे हो । अभो कल ही छ आनेमे अपना चदरा गिरवी रख चुकी हूँ ।” इतना कहकर स्त्री बढ़ी और बच्चेकों गोदमे ले लिया । मार्टिन खड़ा हो गया और अपने कपडोमें खोज-छान करने लगा । आखिर एक बडा गम चोगा उसने निकाला और कहा--''यह लो । चीज तो फटी-पुरानी है, पर चलो बच्चेके कछ काम तो आ हो जायगी।'' स्त्रीने उस चोंगेको देखा । फिर उस दयाबान बुढ़की तरफ आख उठाई फिर चोगेंको हाथमे लेते-ढेते वह रो पडी । मादिन ने मुडकर खाटक नीचे झुककर वहासे एक छोटा-सा बक्स निकाला । उसमे इधर उबर कुछ खोजा और फिर नोचे सरकाकर बैठ गया । स्त्री बोली--“भगवान तुम्हारा भला करे, बाबा। सचमुच ईदवरने ही मुझे इधर भेज दिया । नही तो बच्चा ठिदुरकर मर चुका होता। में चली तब सर्दी इतनी नहीं थी । अब तो कैसी गजबकी ठडी बयार चल रही है। जरूर




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