किशोर छात्रों की आत्म प्रत्यय मनोस्नायुविकृति | Keeshor Chatro Kee Atm Prtyay Mnosnayouveekrtee

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Keeshor Chatro Kee Atm Prtyay Mnosnayouveekrtee by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(6) को नितांत असहाय एवं असुरक्षित समझकर दूसरों का संरक्षण और कृपा प्राप्त करना चाहता है | परिवर्तियों का वर्णन : प्रस्तुत अध्ययन में चार परिवर्तियों का अध्ययन किया गया है। यह चार परिवर्तिय निम्नलिखित हैं | 1... आत्म प्रत्यय 2... मनोस्नायुविकृति 3... उपलब्धि अभिप्रेरणा 4... व्यक्तित्व उपरोक्त परिवर्तियों का विस्तृत विवरण नीचे दिया जा रहा है 1... आत्म प्रत्यय : व्यक्ति के विकास में तौर तरीकों शिष्टाचार बोलचाल उठना बैठना आदि सामाजिक व्यवहार के साथ-साथ आत्म या अहम के विकास का बड़ा महत्व है । यह सब सामाजिकता से ही होता है । सामाजीकरण की इस प्रक्रिया में व्यक्ति में प्रत्येक सामाजिक सम्बन्धों का योगदान है | व्यक्ति अनुकरण सुझाव तथा सहानुभूति द्वारा एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं । इसके अतिरिक्त सामाजिक संस्थायें और समितियां भी व्यक्ति का सामाजीकरण करते हैं | व्यक्तित्व के विकास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण तथ्य उसके स्व: का विकास है इसी के विकास में व्यक्ति का सामाजीकरण होता है | इसी से उसमें आत्म चेतना और सामाजिक चेतना उत्पन्न होती है । यह आत्म व्यक्तित्व का केन्द्र है और इस प्रकार व्यक्तित्व के विभिन्‍न तत्वों को संगठित रखता है | आत्त्म प्रत्यय से तात्पर्य अन्य व्यक्तियों से अर्न्तक्रिया के परिणाम स्वरूप हमारी कार्यों व विचारों की चेतना से है । मनुष्य एक सामाजिक परिवेश में रहता है । पशदरसडतदप्सारशरसाययरयालाससयस्थारसियर्सररिसशासलविकदमियरट उकडाउस्पयारययसशासकयसाउयथासयकशयइनययदसकतायकर कसमशबस्ससययागाकसततसथसकदयसलंधापससकदरस्वतपशारदाययशयदायडरर्ययतर




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