किशोर छात्रों की आत्म प्रत्यय मनोस्नायुविकृति | Keeshor Chatro Kee Atm Prtyay Mnosnayouveekrtee
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
73 MB
कुल पष्ठ :
317
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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को नितांत असहाय एवं असुरक्षित समझकर दूसरों का संरक्षण और कृपा प्राप्त
करना चाहता है |
परिवर्तियों का वर्णन :
प्रस्तुत अध्ययन में चार परिवर्तियों का अध्ययन किया गया है। यह चार
परिवर्तिय निम्नलिखित हैं |
1... आत्म प्रत्यय
2... मनोस्नायुविकृति
3... उपलब्धि अभिप्रेरणा
4... व्यक्तित्व
उपरोक्त परिवर्तियों का विस्तृत विवरण नीचे दिया जा रहा है
1... आत्म प्रत्यय :
व्यक्ति के विकास में तौर तरीकों शिष्टाचार बोलचाल उठना बैठना आदि
सामाजिक व्यवहार के साथ-साथ आत्म या अहम के विकास का बड़ा महत्व है । यह
सब सामाजिकता से ही होता है । सामाजीकरण की इस प्रक्रिया में व्यक्ति में प्रत्येक
सामाजिक सम्बन्धों का योगदान है | व्यक्ति अनुकरण सुझाव तथा सहानुभूति द्वारा
एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं । इसके अतिरिक्त सामाजिक संस्थायें और समितियां
भी व्यक्ति का सामाजीकरण करते हैं |
व्यक्तित्व के विकास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण तथ्य उसके स्व: का
विकास है इसी के विकास में व्यक्ति का सामाजीकरण होता है | इसी से उसमें आत्म
चेतना और सामाजिक चेतना उत्पन्न होती है । यह आत्म व्यक्तित्व का केन्द्र है और
इस प्रकार व्यक्तित्व के विभिन्न तत्वों को संगठित रखता है |
आत्त्म प्रत्यय से तात्पर्य अन्य व्यक्तियों से अर्न्तक्रिया के परिणाम स्वरूप
हमारी कार्यों व विचारों की चेतना से है । मनुष्य एक सामाजिक परिवेश में रहता है ।
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