श्रमण संस्कृति मनवीर जयंती भाग १ | Shraman Sanskriti Manaveer Jayanti Bhag 1

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Book Image : श्रमण संस्कृति मनवीर जयंती भाग १  - Shraman Sanskriti Manaveer Jayanti Bhag 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शव भाना १3 मू० न सेवियव्वा पमया परका; न सेबियव्वा पुरिसा अपिज्ञा । न सेद्यिव्वा अद्मानदीणा, न सेवियव्वा पिशुणा मणुस्सा ॥१३॥ छा० न सेवित या' प्रमदा परकीया, न सेवितब्या पुरुपा अचविद्या 1 न सेवितव्पा भभिमानद्दीना ने सेचितब्या पितुना मनुप्या ॥१३॥। खध-मलुष्ये पारी अभधनखी सेवी नि (परी- बषपट ने थी पिया चगरना घुरेपे।ी, (2६२५ देव ह आागी. तेभुनीप सेवा उस्दो नठ्धि (लेना नसाशरे ने रहेवु) सलिनानी, तथा दीन सेंटने नीय मायुसानि सदा नदि (तिमना सेव यु नहिं ) जथवा मधिमानदीन सोटने न? भाशुसा नाधभ। भान-अतिक्ा वरना ऐव तेमनी सेणत उसी नदि तेमर पिशुन सेटने यारी-सुगधी धरनार नानी पशु सेवा-सेएसत न धरपी १३ मू० #जे घम्मिया ते खड सेरियिव्वा, जे पढ़िया ते खछ पुच्छियव्या । जे साइुणों ते अभिवदियव्वा, जे निम्ममा ते पडिलामियव्या ॥१४॥ + टन्तखा




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