आधुनिक राजनीतिक संविधान | Aadhunik Rajaneetik Sanvidhan
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
361
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजनीतिक सबविधान का अरयं 5
अ्रयोग सा प्रवर्तनीय हो जाती है, ( 2) पहले के न्यायाधीशों के लिखित निर्णय--
अर्थात् वह जिसे कभी-कभी निर्णय विधि ((ट356-2ण/ ) , न्यायाधीश-निमित विधि
अथवा लोक विधि. (0०प्प्ा०ा-13१४) कहां जाता है, (3) सविधि--अर्थात्
राज्य के विधानमडल या ससद् के अधिनियम ।
5 प्रमुत्व
हमने ऊपर कहां है कि अन्य समुदायों वी तुलना में राज्य का विशेष गुण
विधिमां बनाने और उनको दमन के ऐसे सब साधनों ढारा, जिन्हे वह प्रयुक्त करना
चाहे, प्रवत्तित करन वी शक्ति है। यह शक्ति 'घ्रमुत्व' कहलाती है। यह
एुक बहुत ही विवादास्पद शब्द है और इसके विपय मे हमे आगे बहुत-कुछ बहना
है। यहाँ पर इसे इसके दुहरे--आतरिक और वाहा--पहलू में परिभाषित कर
देना पर्याप्त होगा । आन्तरिक दृष्टि से प्रभुत्व का तात्पयं राज्य में एक व्यनित
या व्यक्तियों के निकाय की, उसके क्षेत्राधिकार के अन्दर व्यक्तियों था व्यक्तिया
के समुदायों पर सर्वोच्चता है। वाह रूप से प्रभुत्व का अ्थे है अन्य सब राज्यों
के सम्बन्ध में एक राज्य की पूर्ण स्वतत्रता । व्यृत्पत्ति की दृष्टि से 'प्रभुत्व' शब्द
का अर्थ केवल प्रधानता है, किन्तु राज्य के सम्बन्ध में प्रयुक्त करने पर इसका अर्थ
एक विशिष्ट प्रवार की प्रघानता होता है अर्थात् ऐसी प्रघानता जिसमें विधि-
प्रचालन अर्थात् विधि-निर्माण की शक्ति उपलबित है। किसी भी राज्य में
प्रभुस्व-शनिनि वहाँ रिथित है, इस वात वा पता लगाने के लिए यह आवश्यक है कि
जिन तीन रूपों में इस शब्द का प्रयोग होता है उनमे विभेद कर लिया जाय ।
इसका तात्पयं हों सकता है--(1) राज्य वा नामधारी प्रमुख; जैसे यूनाइटेड
किगडम में महारानी , (2) वैध प्रभु--अर्थात् बह व्यवित या वे व्यक्ति जी देश
की विधि के अनुसार विधि-निर्माण-कार्य करते हैं और शासन का सचालन करते
है, जैंसे यूनाइटेड किगडम मे रासद् सहित महारानी, (3) राजनीतिक या
सचिधानी प्रभु--अर्थात् व्यक्तियों का वह निवाय जिसमे शक्ति अन्तत निवास
वरतो है; जिसे कभी-कभी 'सामूहिक प्रभु कहा जाता है और जिसका निवास
आधुनिक सविधानी राज्य में निर्वाचक-मडल अथवा मतदाल्री जनता में होता
है। अभी हमारा सम्बन्ध प्रभुत्व ने इन पटलुओ मे से केवल दूसरे पहलू से है,
यद्यपि तीसरे पहलू का कार्य, जैसा कि हम वाद मे देखेंगे, आधुनिक राज्य में अत्य-
घिक महत्त्वपूर्ण होता है ।
जेम्स ब्राइस ने एक अंगरेज के विपय मे लिखते हुए किसी भी राज्य मे प्रभु
का पता लगाने को प्रक्रिया का एक उत्तम उदाहरण दिया है। उसने लिखा हैः
एक नगरपालिका मे किसी यूहस्वामी से 'सडव-कर' की माँग बी जाती है। वहू
उसका कारण पूछताहै । उसका ध्यान 'कर' आरोपित करने याली नगर-परिपद्
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