तत्वानुशासन | Tatvanusahsan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तर्वायुशायन 1 १५
प्याय प् स्मेरे तिपे षदा रयम श्प्ताराश्ादै नो
पद्रकिशारौ हे सौर निपने समुपतेश्पामो भौर भ
भुम भादनाधोको सरेषास्दाय दर रिण) श्मशा
ह्यृणं लक्ष जिसमें दिपपान हूं बइ भमेप्पानके प्पान
रमे एग पदाता पाना जागर ॥ ४१-४६ ॥
अप्रमत्तः प्रमत्त सद्रचिर्दृश्शसयतः ¦
धर्मप्यानस्य चत्वारस्तस्वाये स्वामिनः स्मृताः
हषवारयरधर्ये द्रपयश सातं गुणस्यान दाया पप
एड़े शुणश्पानदाला भडिरत सम्पारष्टि चौपे गुण स्यनगा-
ला घोर देशसयमी परदे युणत्यानराता इत पार पमे
ध्यानके थार रुरामी माने हैं अर्यातरि ये पारो सरके भीय
पमैव्दान पारण कर सरे ६॥ ४६॥
मुख्योपचारमेदेन धर्मव्यानमिह् द्विषा }
अपमत्तेपु तन्मुख्यमितरेष्वोपचारिक ॥ ४५ ॥
मुख्य भीर रपपारके येद्से धम्येप्यान दो मकारका
६ उनमेते अम शणत्यानमे शुरूप शोका है ओर शी
सीन गृण्षानेमिं भौप्वारिकि सेठ ६} ४७॥
ट्रव्यक्रमादिसामगी प्यानोसत्तों यतखिधा
भ्यातारखिमिघारतस्मात्तेपा ध्यानान्यपि विधा
ध्यान पारण करनेके विपे दभ्यं चेथ् आविकी सा
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