तत्वानुशासन | Tatvanusahsan

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Tatvanusahsan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तर्वायुशायन 1 १५ प्याय प्‌ स्मेरे तिपे षदा रयम श्प्ताराश्ादै नो पद्रकिशारौ हे सौर निपने समुपतेश्पामो भौर भ भुम भादनाधोको सरेषास्दाय दर रिण) श्मशा ह्यृणं लक्ष जिसमें दिपपान हूं बइ भमेप्पानके प्पान रमे एग पदाता पाना जागर ॥ ४१-४६ ॥ अप्रमत्तः प्रमत्त सद्रचिर्दृश्शसयतः ¦ धर्मप्यानस्य चत्वारस्तस्वाये स्वामिनः स्मृताः हषवारयरधर्ये द्रपयश सातं गुणस्यान दाया पप एड़े शुणश्पानदाला भडिरत सम्पारष्टि चौपे गुण स्यनगा- ला घोर देशसयमी परदे युणत्यानराता इत पार पमे ध्यानके थार रुरामी माने हैं अर्यातरि ये पारो सरके भीय पमैव्दान पारण कर सरे ६॥ ४६॥ मुख्योपचारमेदेन धर्मव्यानमिह्‌ द्विषा } अपमत्तेपु तन्मुख्यमितरेष्वोपचारिक ॥ ४५ ॥ मुख्य भीर रपपारके येद्से धम्येप्यान दो मकारका ६ उनमेते अम शणत्यानमे शुरूप शोका है ओर शी सीन गृण्षानेमिं भौप्वारिकि सेठ ६} ४७॥ ट्रव्यक्रमादिसामगी प्यानोसत्तों यतखिधा भ्यातारखिमिघारतस्मात्तेपा ध्यानान्यपि विधा ध्यान पारण करनेके विपे दभ्यं चेथ्‌ आविकी सा




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