प्रभावशाली जीवन | Prabhavashali Jivan

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Prabhavashali Jivan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| र म व्यक्तित्व नि |! £, ह । बह अपने काय-साग तथा उच्छाका त्चन्ता दी नदा करतत क्यों कि चह स्वय अपनी इच्छाका सवारी ओर अपन मागका निमाता द । अपत खुख, आराम आर सम्भोगॉको पूर्णतया भूल- कर बह अपने स्वभाव तथा घरुतिसे उन आादमियोंकोा सुख आर विश्वास, तथा शक्ति आर वभव प्रदानं करता ह, जोकि उसके मनम्पक्रम अति टं! वद अपने वङन्न क्रतना आदर करता हैं आर क्िनने पेम तथा प्रणताके साथ चह अपने माना-पिता, एमि नथा सापियोक्त सख आर आनन्छक्रे वास्मै अपने आपको न्गदा- चर करता है ! आर सब ही आदमी समस्त विभागोंमें उसकी इस मदती बाक्तिकां कितना शीघ्रताक साथ स्वीकार कर लेते हु ! प्क वार द कदाच गवयेन किती परसिद्ध गान-मण्डलीमें क्रिसी पके बास्न प्राधनापय भेज । उनमेखे पक इव झाकल- सरतवाला तथा द्ाव-भावस जनाना जार प्रभावटीन धा ! वद व्यक्तिन्वदह्ीन था 1 तव घ गान-मञ्या स्टेजपर आया, तव माच्मं छुआ करि उसकी आवाज ता अच्छी ट. किन्तु उसमें कोड मोदिनः दयाक्ति और प्रभाव नहीं है । इसे आद्मीकी आवाज और स्वर दलके थे तथा उन्म उतना रसभी न था किन्तु चर अच्छा व्यक्तित्व रखता था । यद्यपि उसके झरीरकी रचना अच्छी न भी, तथापि उसके प्रत्येक कदम और चालमें गस्मभीरता, चजन भौर आन्माघिकार था । उसकी दृष्टि पड़ते ही ददाकगण उसके भभा वनं आ गये चार उनक्रो उसके आत्प-विभ्वासका चोध हो गया 1 वह च्याक्तत्वयुक्त आदमी शरा) उसे दद पट शीघ्र ही पस्ति कर लिया परन्तु सुरीली आवाजवाले किन्त व्याक्तित्व-दन पटले आदमीको वहसि निराद्या खौरना पडा 1 अतयव यदह ठीक हैं कि “” घुटिपूण व्यक्तित्व हरपक स्थानपर दानिकारक होता है । हम अपने जीवनमें प्रतिदिन ही देखते हे कि सभा-सुसाइटियोंके पुटफामापर पक टुचला पतला और मन्द आवाजवाला व्याख्यान दाता सब श्रोताओंकोा अपने चद्दमें कर लेता है, ओर खूब जोर, जारसे व्याख्यान देनेवालोंका इसमें काइई सफलता प्राप्त नदी १ॐ ॐ




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