जीवन जौहरी | Jeevan Jauhari

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Jeevan Jauhari  by ऋषभदास रांका- Rishabh Das Ranka

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ जीवन-जैहरी संस्कार, स्थिति और योग्यता आदि के संबंध में निरंतर सावधान रहना आवश्यक है। एक दूसरे के अनुकूल और प्रतिकूठ बनना पड़ता है। इस समय व्यावहारिक बुद्धि और बड़ों के अनुभव ही उसके मार्गदर्शक होते हैं । तुम भी शायद यह सोचेगे कि इतने वर्षों तक जो अनेक विषयों का अध्ययन सैकड़ों पुस्तकों द्वारा करना पड़ा है. उनके भीतर अपने से संबंधित किसी व्यक्ति का परिचय और उसके जीवन- अनुभव प्राप्त नहीं होते । तुम जैसे हजारो शिक्षित तरुणों के सामने जीवन क। प्रइन उपस्थित है । और बह प्ररन अनुभव की पाठशाला मंदी पुलक सकता है। हमारे यहाँ इस विषय पर प्रयः चित्रा ही नहीं गया। यों तो अब आत्म-कथाएँ. लिखने का सिलसिला चल पड़ा है और देश के अच्छे अच्छे नेताओंनि आात्मकयाएँ लिखी हैं और उनसे ह्मे बहत कुछ सीखने को मिलता है 1 लेकिन यहाँ मैं व्यावसायिक क्षेत्र की ही बात कर रहा हूँ । इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करनेवाले भी कई पुरुष हो गए है, लेकिन ये लोग विशेष पढ़े-ढिखे नहं थे । जो थोड़े-बहुत थे वे अपने व्यवसाय मे इतने व्यस्त रहते थे कि उनका च्छन इस जर नर्द जा सका \ जो हो, आज हमर सामने न्याचस्तापिक आत्मकथा या अनुभव नहीं हैं. जिनसे जीवन को सफल बनाने के लिए प्रेरणा और प्रामाणिकता प्राप्त की जा सके । यह न समझो कि मैं किसी बहाने उपदेश देना चाहता हूँ । उपदेश को मैं उचित नहीं समझता । उसकी आवश्यकता भी नदी है । हर व्यक्ति अपनी भलाई-बुराई समझता है और बनती कोशिश वह ~~~




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