किर्ति - स्तम्भ | Kirti Stambh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चमक ४”: बट सू गिरपि 00 # - / 4 (1 रच, कर ताप ( 44 ८) „ए | सेठ चम्यालाल रापस्वरूप रानीवाला ब्यावर 305 001. शुभ सन्देश परमपूज्य १०८ मुनिवर श्री सुध्ध्ागर जी महाराज के अजमेर नगर में सम्पन्न चार्तुमास की पुण्य स्मुतियों के स्थासित्व हेतु तथा पूज्य मुनि श्री के मंगल उपदे को जननन तक पहुंचाने के दृष्टि से दिगम्बर जैन समिकि, अनमेर द्वारा ०५अ्य्‌ स्मारिका के प्रकाशन से. अज्ञानान्धकप्ट के मेदों का नाश दोग एवम्‌ जनान दे. सूर्य का. प्रताप दिगदिगनद तब व्याप्त होगए। मै तपः पूं मुंनिश्रेष्ठ पूज्य सुधासागर जै मदाराज्‌ के पादन चरण कम्र में अपनी विनयन्नलि. प्रस्तुत कर्ते हट समिति के सभी उपकंर्मों की. सफलता, देतु कामन करत दू नद ~ ९.१५ ५ 0 सिप (खछङनक्रुमार रष्नौकल्प)




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