लाल बहादुर शास्त्री | Lal Bahadur Shashtri

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Lal Bahadur Shashtri by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उदय पहला सर्ग उत्तर प्रदेश है प्रान्त एक शोभित भारत के. अच्यल में । काश दोष ज्यों दोपों में है चन्दन ज्यों मलयाचल में ॥। मस्तक पर शुक्र मुकुट उर में गंगा यमुना की. मालाएं । बारा भारत ही. बसे. यहां केन्द्रित स्वदेश की आशाए 1 पथुडी एक इस शतदल कों शुभ मुगल सरायें नाम धात्री । दिन एक सदा के लिए बनी जो राशि-राशि यश की पात्री ॥। भा पहुँची चार शरद लेकर जब प्रांगण में उन्नीस सर्द | कायस्थ पुण्य कुल के अदष्ट तब जग को दृष्टि पड़ी हस दो ॥। जब प्रसव कक्ष मे नन्हा सा शिशु कहाँ कहाँ था. बोल रहा | व स्वागत के लिए एक बार दो. अक्टूबर थ। खोल रहा ॥ शारदा प्रसाद सदन में जब मंगलमय बाजे. बाज. उठे से संध्या के कर तारों के मिस्र तब दौोप आरती साज उठे ॥




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